लेंसमैन

येगेन्द्रदत्त शर्मा
येगेन्द्रदत्त शर्मा

पैण्ट कमीज, निकॉन का अच्छा कैमरा – पर्याप्त इस्तेमाल किया हुआ, मंझले आकार का और सही प्रोपोर्शन में शरीर। सिर पर पीछे एक बंधी हुई सवर्ण की शिखा उस व्यक्ति को होटल लेक-व्यू, अशोक के वातावरण से अलग कर रही थी। वह व्यक्ति बिना लोगों में हिले मिले, हम लोगों की कॉन्फ्रेन्स को देख और बीच बीच में सही मौके पर फोटो लेने का काम कर रहे थे।

शाम के समय हम अधिकारियों को भोपाल के बड़े ताल – जिसके पास होटल लेक व्यू है भी, में एक मोटरबोट में क्रूज़ के लिये ले जाया गया। लगभग  40-45 मिनट की सैर। दृष्य अच्छा था। हर एक व्यक्ति – या हर दूसरा व्यक्ति अपने स्मार्ट फोन से चित्र ले रहा था। मैने लोगों का चित्र लेते उस व्यक्ति का चित्र लिया। कैमरामैन का। कुछ अजीब और सुखद लगा होगा उन्हे। धन्यवाद दिया उन्होने मुझे और तब उनके साथ एक छोटी बातचीत हुयी।

योगेन्द्र अपने निकॉन कैमरे के साथ
योगेन्द्र अपने निकॉन कैमरे के साथ

उनका नाम है योगेन्द्र दत्त शर्मा। यहीं पास के इटारसी के रहने वाले हैं। बहुत अर्से से भोपाल में अखबारों और अन्य अवसरों के लिये फोटोग्राफी करते हैं।

आज कितने चित्र लिये होंगे?

कोई दो-तीन सौ।

मुझे समझ नहीं आया कि इतने चित्रों का उपयोग क्या होता है। सरकारी फाइलों की तरह इनका भी अम्बार लगता जाता है – मेरे खुद के चित्रों का यह हाल है। उन्हे तरतीबवार संजोने और टैग करने का अवसर ही नहीं मिल पाता। ये सज्जन तो इन चित्रों की मेगाबाइट्स ऑफलोड कर अपना मेहनताना पा किनारे होते होंगे, पर जिनके मेगाबाइट्स बने हैं, उन्हे कितनी फुरसत होगी उनका उपयोग करने की। बस गनीमन है कि यह डिजिटल बाइट्स का कचरा नष्ट करना बहुत आसान है और इसका होना/नष्ट करना कोई पर्यावरणीय दुष्प्रभाव भी नहीं छोड़ता।

कभी किसी फोटोग्राफ़र से लम्बी बातचीत हुई तो इस विषय में चर्चा करूंगा।

योगेन्द्र दत्त शर्मा जी ने बताया कि उनके एक चित्र से भास्कर समूह को बहुत घाटा उठाना पड़ा था। सन 1988 की बात है। राजीव गांधी का दौरा था। उस दौरान सड़क के किनारे एक मरा कुत्ता था, जिसपर किसी मनचले ने बोर्ड लगा दिया था – राजीव गांधी। मैने वह चित्र में ले लिया। उस चित्र को जागरण और भास्कर दोनो ने छापा। जागरण ने तो चित्र पर इसे किसी मनचले की करतूत बताते हुये कैप्शन लगा दिया था, पर भास्कर में कोई स्पष्टीकरण लिखे जाने से रह गया। उसके लिये सम्पादक महोदय को हटा दिया गया। मुझे तो कई महीने बाद हटाया उन्होने।

योगेन्द्र की शिखा।
योगेन्द्र की शिखा।

एक दूसरे वाकये के बारे में बताया कि वे उल्लू के घोंसले का चित्र लेने का उपक्रम कर रहे थे। उनका अन्दाज था कि दिन में उल्लू देख नहीं पाता। पर अपने बच्चों की सुरक्षा में उल्लू शायद इतना सजग था कि दिन में लगभग सौ कदम की दूरी से उड़ता आया और मेरी गरदन पर तेज प्रहार किया अपनी चोंच से। पूरी रोशनी में अचूक निशाना रहा उसका। यह बात अखबार में छपी थी। किसी तरह से वह नासा तक पंहुच गयी और उन्होने योगेन्द्र जी का चित्र भी मांगा था…

रात में मैने योगेन्द्र जी को हम लोगॊं का एक ग्रुप फोटोग्राफ लेते भी पाया।

योगेन्द्र जी को देख कर मुझे लगा कि फोटोग्राफर का कार्य भी बहुत एकाग्रता, प्रत्युत्पन्नमति, और श्रमसाध्यता मांगता है। उसके मुताबिक आमदनी भी होती है या नहीं, यह नहीं पता कर पाया। … फिर कभी..

हां, अगले जनम में मैं फोटोग्राफर बनना चाहूंगा? शायद हां। शायद नहीं। अभी कई दशक हैं सोचने के लिये। फिलहाल तो एक नया पॉइण्ट एण्ड शूट कैमरा ही लेने की सोच रहा हूं!

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

13 thoughts on “लेंसमैन

  1. सचमुच, फोटोग्राफी मतलब किसी विषयवस्तु का चित्र कैद कर लेना… और थोड़ी बहुत विधा ये कि एंगल /कोण सेट कर लेना । संभवतः इससे काफी आगे तक की यात्रा होगी ,निश्चय ही ये फोटोग्राफी। शर्माजी जैसे ही कोई “गुरु” मिल जाये तो गंगा स्नान सी अनुभूति मिल जाये। इत्ता पक्का है कि इस फ़न का शौक बचपन ही से रहा , बस डुबकियाँ नहीं लगा पाए। धन्यवाद गुरुदेव, इस हुनर की ओर ध्यान खींच लाने के वास्ते !!

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  2. भोपाल ताल लेक व्यू अशोका के पीछे स्थित एक और दर्शनीय स्थान है, जिसे आप देखने से वंचित रह गए! यह है – ब्लॉगर रवि-रतलामी का वर्तमान निवास स्थान. :)

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    1. ओह, होटल में टूरिज्म की यह टिप दी नहीं और मेरे भोपाल के साथी भी जानकारी में कमजोर निकले! :-(

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    1. दूर की चिड़ियों का चित्र लेने का मन है! अत: ज्यादा जूम का कैमरा भर चाहिये! बाकी, प्रोफेशन तो ट्रेन गाड़ीवान का ही है! :)

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  3. प्वाइंट एंड शूट नहीं चलेगा, अब आप फोटोग्राफी के प्रति गम्भीर हैं, मिररलेस लें।

    मिररलेस कैमरों पर विषय पर अमित की पोस्ट पढ़ें,
    http://hindiblog.org/2014/camera-conundrum-43/

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