शैलेश पाण्डेय – वाराणसी से नागालैण्ड यात्रा विवरण – 5 #ALAKH2011

Screenshot_2014-11-18-07-01-33शैलेश ने नागालैण्ड की राजधानी कोहिमा में एक पड़ाव किया था। पन्द्रह नवम्बर की सुबह वे रवाना हुये कोहिमा से आगे। साढ़े दस बजे गूगल मैप पर अपनी स्थिति मुझसे साझा की तो वोखा टाउन की जगह थी। मैने दिन में पूछा था – कहां जा रहे हो? उत्तर ह्वाट्सएप्प पर रात नौ बजे मिला था –

उंग्मा गांव पंहुच गया हूं। भैया, यह स्वर्ग है! 

क्या है यहां? लोग क्या हैं? कारीगर? 

लोग किसान हैं। यह अतु (शैलेश के साथ स्वयम् सेवी सन्स्थान में सहकर्मी) का गांव भी है। यह जगह मेरे द्वारा पंहुची गयी सर्वोत्तम जगहों में शीर्ष पर है। 

अच्छा! कल दिन में सूरज की रोशनी में गांव देखना और चित्र भेजना। 

नवम्बर’16; 2014

आज गांव देखा? चित्र? 

शैलेश ने कई चित्र भेजे गांव की सीनरी पर। नीचे एक चित्र है। बाकी आप स्लाइड शो में देख सकते हैं।

उंग्मा गांव।
उंग्मा गांव।

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भैया, इस गांव में सक्रिय रूप से वाटर हार्वेस्टिंग की जाती है। पानी संग्रहण का यह तरीका मानो उनके जीवन – धर्म का अंग हो। सर्दियो‍ मे‍ पानी की किल्लत एक समस्या है। पास मे‍ तिखु नदी है। सम्भवत: मौसमी नदी। 

वाटर हार्वेस्टिंग, उंग्मा गांव में।
वाटर हार्वेस्टिंग, उंग्मा गांव में।

ये हैं सेण्टी लेमजुंग। 86 साल के। उन्हे भारत का विभाजन अच्छी तरह याद है। विभाजन के समय वे आसाम राइफल्स में अमृतसर में पोस्टेड थे। बाद में वह यूनिट समाप्त कर दी गयी।

IMG-20141116-WA0004रोचक है यह सब! 


उंग्मा गांव

उंग्मा गांव। दीमापुर, कोहिमा और मोकोकशुंग गूगल मैप में।
उंग्मा गांव। दीमापुर, कोहिमा और मोकोकशुंग गूगल मैप में।

उंग्मा, आओ नगा जनजातीय लोगों का ऐतिहासिक गांव है। यह मोकोकशुंग जिले के मुख्यालय से 10 किलोमीटर दक्षिण मेँ है। आओ जनजातीय यह गांव उनके प्राचीनतम सेटलमेण्ट्स में से है और आओ लोककथाओं, रीति-रिवाज, परम्पराओं और जीवनशैली देखने के कोण से यह टूरिस्ट महत्व का है।

उंग्मा नागालैण्ड के अधिक विकसित गांवों में से एक है। यहां के लोग आओ त्यौहार जैसे मोआत्सु और त्सुंगरेमॉंग पूरी आन-बान-शान से मनाते हैं।

गांव यिम्पांग (उत्तर) और यिम्लांग (दक्षिण) में बंटा है। बीचोंबीच बैप्टिस्ट चर्च है।

उंग्मा की आबादी 2011 में 9500 थी। यहां 92% लोग साक्षर हैं (मजे की बात है कि स्त्रियां और पुरुष लगभग बराबर – या स्त्रियाँ कुछ अधिक ही साक्षर हैं।) । प्रति 1000 पुरुषों पर 964 महिलायें हैं। यहां पंचायती राज व्यवस्था है और सरपंच अन्य राज्यों की तरह चुन जाता है।

यहां 96% लोग अनुसूचित जन जाति के हैं। सन 1870 के आस पास ईसाई मिशनरियों ने यहां धर्मांतरण किया। मुख्यत: बैप्टिस्ट मिशनरीज। गांव के बीचोबीच बैप्टिस्ट चर्च का बहुत महत्व है यहां के जीवन में।

यहां के अधिकांश लोग या तो खेती करते हैं या खेतों में मजदूरी। मुख्य पसल चावल और सब्जिया‍। खेती के अतिरिक्त उद्यम वाले 9% से कम लोग हैं।

पानी-बिजली की समस्या रहती है उ‍ग्मा मे‍। 

काँग्रेस पार्टी का यह गढ़ है। पूर्व मुख्य मंत्री श्री एस सी जमीर यहीं के हैं।


मुरोंग। नौजवानो की परम्परायें सीखने की जगह।
मुरोंग। नौजवानो की परम्परायें सीखने की जगह।

यहां के लोग चाय बहुत पीते हैं। लाल चाय। बिना चीनी के। भोजन में स्टिकी-राइस (चिपचिपा चावल?) एक विशेषता है। यह चावल; नागा मिर्च की चटनी और नागा फलियों के साथ खाया जाता है। चावल मुख्य खाद्य है। मांस की जरूरत पोर्क और चिकन से पूरी होती है। सूअर ये लोग छुट्टा नहीं छोड़ते। घर में बचे खुचे को उन्हे खाने को देते हैं।

यहां नशाबन्दी है, पर शराब अवैध रूप से मिलती है।

लोग पान-सुपारी-बीड़ी का सेवन करते हैं। पान को तामुल कहते हैं। गुड़ का प्रयोग होता है। वोखा का गुड़ प्रसिद्ध है।

यह मुरोंग है। या अर्र्जु। पुरानी पढ़ाई की जगह। यहां नौजवान लोग परम्पराओं के बारे में सीखते हैं।

अगले दिन 17 नवम्बर को शैलेश की वापस यात्रा प्रारम्भ हुयी उंग्मा गांव से। लौटते समय मन में मन में थे कई संवेग। यायावर ऊपर से संयत रहता है, पर मन को कई इमोशंस मथते रहते हैं। भाग – 6 में प्रस्तुत होगा वह सब। सम्भवत: वह अंतिम पोस्ट हो इस कड़ी की। सम्भवत: इस लिये किसी भी यायावर का कोई भरोसा नहीं होता। अनप्रेडिक्टेबल! :lol:

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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