कस्बाई लोगों को अंगरेजी नहीं आती। उत्तरप्रदेश के कस्बाई लोगों का अंगरेजी में हाथ तंग है; यह जगत विदित है। यही नजारा आज मुझे दिखा।

नवरात्र का समय। हम महराजगंज बाजार (भदोही जिला) में फलाहार तलाश रहे थे। एक ठेले पर खरबूजा दिखा। दो ढेरियों में – चालीस रुपये किलो और बीस रुपये किलो। देखने में दोनो में खास अन्तर नहीं। बीस वाले कुछ दबे लग रहे थे।
ठेले वाले ने बताया कि तीस रुपये के भाव से लाया था मण्डी से। छांट कर चालीस और बीस वाली ढेरियां बना दीं। हमने चालीस वाले में से दो खरबूजे लिये।
उसी समय एक महिला लेने आई। ठेले वाले ने दाम बताया। महिला बीस वाली ढेरी के एक खरबूजे को हाथ लगा कर ठिठकी। ठेले वाले ने उसे कहा – “लई ल। खराब नाहीं बा। राटन हौ। (ले लो, खराब नहीं है, राटन है)।”
महिला की झिझक देख उसने फिर अंगरेजी छांटी – “खराब नाहीं, थोड़ा दबा बा। राटन हौ।”
महिला ने ले लिया एक खरबूजा। न उसे मालुम और न ठेले वाले को कि राटन (रॉटन – rotten – सड़ा हुआ) क्या होता है। अंगरेजी शब्द का वजनदार प्रयोग उसका खरबूजा बेचने में सहायक हुआ।
आप भी यूपोरियन मार्केट में जाइयेगा तो राटन खरबूजा तलाशियेगा! 😆
I bought one today and it was on sale for 2$ in Alberta Canada.
Thanks and regards
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