रिटायर्ड जिन्दगी की सुबह

जल्दी उठ गया हूं। जल्दी माने 4 बजे नहीं, ढ़ाई बजे। पास के बिस्तर पर पिताजी आधी रजाई नीचे गिरा चुके हैं बिस्तर से। आधी रजाई में उस मुद्रा में सो रहे हैं जिसमें मेरी दादी की कोख में रहे होंगे। मैं उनकी लापरवाही (या उनके बुढ़ापे) पर दांत पीसता हूं और उनकी रजाई उन्हें उढ़ाता हूं।

उनपर आये गुस्से से नींद उचट गयी है। पहले टैब पर दो चार एप्प और ब्राउजर टटोलने का अनुष्ठान करता हूं, फिर किण्डल पर चला जाता हूं। भला हो किण्डल पेपरह्वाइट का, जिसके लिये टेबल लैम्प नहीं जलाना पड़ता। किताब वहां खोलता हूं जिसपर उसे पढ़ने का चिन्ह लगा है – 20% तक पढ़ चुका हूं। डेढ़ घण्टे बाद 37% तक पंहुचा हूं।

धीमे पढ़ा, बीच बीच में अपनी खुद की जीवन यात्रा पर भी याद करता गया। किताब पढ़ते समय यह फ्लेश-बैक में जाने की बीमारी को जाने क्या कहते हैं। यह फ्लेश-बैक कभी पास में पड़ी नोटबुक खुलवा देता है – लिख लें, वर्ना सोचा गया पता नहीं कब झर्र से उड़ जाये। तिरसठ पार की जिन्दगी में कॉग्नीटिव डीजनरेशन तो शुरू हो ही जाता है!

सवा चार बजे चाय की तलब होती है। फिर लगता है कि चाय नहीं, पेट भूख का सिगनल दे रहा है। निर्णय लेता हूं कि चाय की बजाय एक ग्लास दूध पी लिया जाये। किचन में कम से कम आवाज करता हूं बर्तनों से – कि सोती पत्नीजी की नींद न टूटे। पर वे अध जगे ही मुझे निर्देश देती हैं – जरा गीजर ऑन कर देना।

गांव का मामला है। अभी बिजली आ रही है, फिर जाने कब चली जाये और उनके नहाने के लिये गरम पानी ही न रहे।

दूध गरम करते करते विचार बदल जाता है। दूध में ही चाय डाल देता हूं। टी-बैग्स खतम हो गये हैं। सो छन्नी से छानना पड़ता है।

लैपटॉप ऑन कर अपनी एक सेल्फ़ी लेता हूं चाय पीते हुये। कमरे में मात्र टेबल लैम्प की रोशनी में चित्र बड़ा धुंधला आता है – दानेदार। सोचता हूं, इस पर एक ब्लॉग ही लिख दिया जाये – भविष्य के लिये डायरी बद्ध तो हो जाये कि रिटायर्ड जिन्दगी की एड-हॉक सुबह कैसी होती है। दूध के गिलास से शुरू होती चाय जैसी।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

2 thoughts on “रिटायर्ड जिन्दगी की सुबह

  1. आजकल हर दिन एक अच्छी पोस्ट पढ़ने को मिल रही है. यह क्रम बना रहे.

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