हरिशंकर मिश्र उर्फ शिवधारी


इस व्यक्ति को रोज लोटन गुरू के घर के सामने की गड़ही के पास फेंके पॉलीथिन की पन्नियां बीनते देखता हूं. उसके बाद हाईवे के पास मिडिल स्कूल की बगल में बैठे हुए. उनके थैलों में भरी पॉलीथिन से लगता है कि और स्थानों पर भी बीनते होंगे वे चिन्दियां.

नाम पूछने पर बताया हरिशंकर मिश्र, गांव बारी पुर. उसके बाद जोड़ा शिवधारी.

बारी पुर बगल वाला गांव है. उनके उत्तर देने पर यकीन हुआ कि वे विक्षिप्त नहीं, समान्य हैं.

उम्र बताई बहत्तर साल. मैंने कहा – देखने में उतने लगते नहीं! हरिशंकर बोले – आपकी समझ का फ़ेर होगा. है बहत्तर ही.

पोलीथीन जो थैलों में है, उसका क्या करेंगे? यह पूछने पर विषय से इतर उत्तर देते हैं हरिशंकर. “दुल्ही पुर में खेत हैं.” शायद यह चाहते हैं कि मैं उनकी माली हालत खराब न समझूँ.

और पूछने पर बताया कि यहां से दुल्ही पुर जाएंगे, अपने खेत पर.

मैं आधा घण्टा बाद वापस लौटता हूँ तो उन्हें फिर कूड़े के ढेर से चिन्दियां बीनते पाता हूँ.

घर लौट कर अपने वाहन चालक अशोक से उन सज्जन के बारे में पूछने पर अशोक ने बताया कि ये बारी पुर के हैं. बैंक से लोन लिया था. उसको न चुकाने के लिए पगलई की नौटंकी करते हैं. घर से परिवार ने अर्ध परित्यक्त कर दिया है. “अस पगलई करिहीं त अउर का होये?”

पता नहीं सच क्या है. पर उनकी उम्र, वेश और उनके व्यक्तित्व (जो नजर आता है) के अनुसार उन्हें पोलीथीन बीनने वाला तो नहीं होना चाहिये. घर परिवार और समाज को बहत्तर साल के आदमी की कुछ तो देख भाल करनी चाहिए.

भारत में – जहां कुटुम्ब व्यवस्था जिंदा है, हरिशंकर जैसा उदाहरण असहज करता है. लगता है कि वह व्यवस्था चरमरा रही है. और उसके विकल्प में कुछ भी खड़ा नहीं हो रहा. आदमी अपने अकेले के वृद्धावस्था काटने की प्लानिंग तो करता ही नहीं.


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

One thought on “हरिशंकर मिश्र उर्फ शिवधारी

  1. जीवन के कई रंगों के लिये आँखों में जैसे रतौंधी हो गयी है सा महसूस होता है।

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