गांव सामान्य सा दिखता है। पर गमछा मुंह पर बांधे है और सहमा हुआ है। आसपास के इलाके में अभी किसी के बीमार होने या मरने की खबर नहीं है, वह होने पर शायद गांव भी घरों में दुबक जाये।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
गांव सामान्य सा दिखता है। पर गमछा मुंह पर बांधे है और सहमा हुआ है। आसपास के इलाके में अभी किसी के बीमार होने या मरने की खबर नहीं है, वह होने पर शायद गांव भी घरों में दुबक जाये।