
गंगा किनारे एक बड़े पीपल के पेड़ से adequate social distancing पर है यह। बड़ा होकर शायद कोरोना युग की याद करे। क्या पता लोग श्राद्ध के घण्ट भी बांधने लगें इसपर। या कोई साधू इसकी छाया में कुटिया बनाए!
जो होगा, देखने के लिए अभी तुम चलोगे जीडी! 😁
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।

गंगा किनारे एक बड़े पीपल के पेड़ से adequate social distancing पर है यह। बड़ा होकर शायद कोरोना युग की याद करे। क्या पता लोग श्राद्ध के घण्ट भी बांधने लगें इसपर। या कोई साधू इसकी छाया में कुटिया बनाए!
जो होगा, देखने के लिए अभी तुम चलोगे जीडी! 😁