मैं गांव के सबर्बन रूपांतरण की कल्पना करता हूं। अगर प्रयाग-वाराणसी का वैसा विकास हुआ जैसा वडोदरा-अहमदाबाद का है तो उमेश की दुकान साणद की एक दुकान सरीखी होगी एक दशक में। कटका साणद जैसा सबर्ब बन जायेगा।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में रह कर ग्रामीण जीवन जानने का प्रयास कर रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर; पर ट्रेन के सैलून को छोड़ गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
मैं गांव के सबर्बन रूपांतरण की कल्पना करता हूं। अगर प्रयाग-वाराणसी का वैसा विकास हुआ जैसा वडोदरा-अहमदाबाद का है तो उमेश की दुकान साणद की एक दुकान सरीखी होगी एक दशक में। कटका साणद जैसा सबर्ब बन जायेगा।