शारदा परसाद बिंद एक दिन हमारी अम्माजी की विरासत में रखी चकरी के पल्लों की छैनी – हथौड़ी से कुटाई कर गया था। उसे नीम की सूखी लकड़ी दी थी चकरी का बेंट (लकड़ी की गुल्ली जो चकरी की कीली होती है) और मुठिया (लकड़ी का हैण्डल जिससे चकरी को घुमाया जाता है) बनाने के लिये। अगले दिन वह आया बसुला और आरी के साथ। लकड़ी छील कर लाया था; और उसका छोटा आठ साल का बालक संतोष भी साथ में था।

शारदा ने नाप से बेंट और मुठिया छीली और उसे चकरी में फिट किया। उसका बेटा ध्यान से उसका काम देखता रहा। शायद आगे यह काम करने में प्रवृत्त हो। चकरी तैयार कर उसने मूठ से घुमा कर चला कर देखा और थोड़ा सा मोटा अनाज मांगा दलने के लिये। चकरी के मुंह से साबुत चने को पाटों के बीच डाल कर चकरी चलाते हुये चने को दल कर दिखाया। मेरी पत्नीजी के मन माफिक बेंट और मुठिया का साइज छोटा किया।
शारदा परसाद बिंद – चकरी कूटने वाला
काम के तीस रुपये मांगे। यह भी कहा कि बीस देंगे, तो भी चलेगा।

मेरी पत्नीजी उसपर मेहरबान थीं। बोलीं – नहीं, तुमने तीस मांगा है तो दे ही दूंगी। पर जरूरत पड़ने पर तुम्हे बुलाया तो आना पड़ेगा।
उसके लड़के को उन्होने एक पार्ले-जी बिस्कुट का पैकेट भी दिया और बगीचे से तोड़ कर 15-20 अमरूद भी। लड़के – संतोष – ने सभी अमरूद अपनी जेबों में भर लिये। बिस्कुट का पैकेट खोल कर खाया नहीं। शायद घर जा कर अपने छोटे भाई के साथ शेयर करे। शेयर करने के नाम पर मुझे अपनी एक पुरानी, छोटी पर मार्मिक पोस्ट याद हो आयी – चाय की चट्टी, मोही और माधुरी। जिसपर दिनेश राय द्विवेदी जी की टिप्पणी है – आप की बेहतरीन पोस्टों में से एक। 🙂
मैंने पत्नीजी से कहा कि कोई पुराने, संतोष के नाप के कपड़े हों, तो दे दें। पर वैसे कोई आसानी से घर में दिखे नहीं। शायद एक बक्से में इस तरह के कपड़े हमें बाहर रखने चाहियें। उनके लिये बहुत से बच्चे दिख ही जाते हैं।


इस तरह हमारी चकरी, सात साल बाद फिर से तैयार हो गयी। एक छोटी सी चीज ठीक होने पर कितनी प्रसन्नता देती है। और यह तो एक एण्टीक पीस है। शायद कई दशकों से मेरी अम्माजी इसका प्रयोग करती रहीं। इसके साथ माँ की याद भी जुड़ी है।
अब दाल दलने के लिये गांव में औरों से मांगनी नहीं पड़ेगी। इसके उलट आस पास के लोग गाहे बगाहे मांगने आते रहेंगे और हमें ध्यान रखना होगा कि कौन ले कर गया। वर्ना गांव में चीजें गायब बड़ी सरलता से हो जाती हैं। 🙂
भावनात्मक जुड़ाव हो जाता है पुरानी वस्तुओं से।
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