द्वारिकापुर – उफनती ही जा रही हैं गंगा

मैं अपने घर के पास गंगा के दो तटों – द्वारिकापुर और कोलाहलपुर तारी के 2 अगस्त, आठ अगस्त और दस अगस्त के चित्र अपने मोबाइल में लिये हूं। दो अगस्त को देख कर लगा था कि बहुत पानी बढ़ गया है गंगाजी में और इतनी सनसनी थी मन में कि घर लौट कर आते ही पोस्ट लिखी थी – उफान पर गंगा।

पर वह उफान एक दो दिन में थमा नहीं। अब भी जारी है। आज सवेरे तो तेज वर्षा के कारण निकल कर वहां जा नहीं पाया, पर यह जरूर अहसास है कि कल से आज अगर कोई परिवर्तन हुआ भी होगा तो और बढ़ने का ही होगा।

कल रमापति यादव जी आये थे। वे डाकिया हैं। मेरी बहन की राखी का स्पीड पोस्ट देने आये थे। वे द्वारिकापुर के रहने वाले हैं। बता रहे थे कि द्वारिकापुर और अगियाबीर के बीच जो नाला पड़ता है और जिसमें मानसून के मौसम के अलावा पानी नहीं रहता, इस समय गंगा का बैक-बे बना हुआ है। उसमें करीब दो किलोमीटर तक पानी भर गया है। उसी के किनारे भोला विश्वकर्मा का नीचाई पर लकड़ी का स्टोर है। भोला खाती है – कारपेण्टर। अब अपनी लकड़ियां बटोर कर ऊंचाई पर ले गया है। आगे कुछ लोगों के नीचाई पर घर भी हैं। पता नहीं उनकी क्या दशा है। इस क्षेत्र में अधिकतर गांव तो ऊंचाई पर बसे हैं, जहां बाढ़ का खतरा नहीं। पर किरियात के क्षेत्र में तो घरों में पानी घुस ही गया होगा।

अपनी पैंसठ साल की जिंदगी में बाढ़ें बहुत देख लीं। किसी बाढ़ में फंसा नहीं। पर बाढ़ का कौतूहल और सनसनी हमेशा होती है। अब भी हो रही है।

दो अगस्त के दिन द्वारिकापुर घाट के चित्र ये थे –

  • 2 august 1

गंगाजी बढ़ी थीं पर तट के पेंड़ों के नीचे पानी नहीं आया था। तट पर गंगा चबूतरा, जहां लोग सुबह शाम गंगा आरती किया करते थे, भी दिख रहा था। यद्यपि जल उसके किनारे लग गया था। चबूतरे पर लोग बैठे बाढ़ निहार रहे थे। उफान पर थीं गंगा पर दृष्य भयावह नहीं था। करीब दो दर्जन लोग वहां जमा थे।

आठ अगस्त को दृष्य बदल गया था –

छ दिन के अंदर गंगा पेड़ों की जड़ों के नीचे पंहुच गयी थीं। विशाल पीपल की टहनियां पानी को छू रही थीं। पाकड़ के नीचे पत्थर की बेंच और पीपल के पास गंगा चबूतरा जलमग्न हो गये थे। पानी बहुत बढ़ आया था और बढ़ता ही जा रहा था!

उसके बाद भी पानी बढ़ता गया। दस अगस्त को द्वारिकापुर में नावें और पीछे आ गयीं। पेड़ और डूब गये। पीपल की जड़ें जो थोड़ा बहुत नजर आ रही थीं, वे भी डूब गयीं।

जो कुछ सुनने में आ रहा है, वह भयोत्पादक है। गुन्नीलाल जी कहते हैं कि अगियाबीर में लूटाबीर तट की ओर से पानी घुसने की आशंका बन गयी है। द्वारिकापुर से करहर की ओर जाने वाली सड़क, डेढ़ी पर पानी आ गया है। और पानी बढ़ा तो कुछ घर घिर सकते हैं।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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