मैंने अपने को यह माना है कि मैं साइकिल पर नहीं, पैदल चल रहा हूं। तेज चाल से चलता पैदल व्यक्ति। पैदल आदमी सड़क के दांयी ओर चलता है जिससे वह सामने आ रहे वाहन से अपने को बचा सके। सो मैं अपनी साइकिल दांयी ओर ही चलाने का प्रयास करता हूं।
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ओम प्रकाश यादव वाचमैन
अब तनख्वाह के रूप में कुछ कम मिलता है। पर ट्रक वाले, भले ही खाना नहीं खाते ढाबे पर, रात में आराम के लिये आसपास रुकने लगे हैं। अधिकतर वे अपना खाना खुद बनाते हैं। पर उनके ट्रकों की देखभाल का काम करते हैं ओमप्रकाश।
गांवदेहात का ढाबा और महिलाओं का ध्यान
जिस बात ने मेरा ध्यान खींचा, वह एक तीर लगा कर महिला शौचालय दिखाया जाना। इस यूपोरियन पितृसत्तात्मक समाज में इस तरह की चीज अजूबा टाइप है। स्त्रियों को लम्बी दूरी तक यात्रा में ब्लैडर भरा होने पर भी, अपने को रोकना पड़ता है।
बखरी वाले लोग
यह गांव अगर एक ‘औसत’ गांव भर ही हो कर रह गया और इसके ढेर सारे लोग बिना कुछ किये या सिर्फ ट्रक ड्राइवरी करते रह गये तो वह इस कारण से कि वे ‘बखरी’ के खासमखास होने के परावर्तित आभामण्डल में इतराते रहे।
सावन में बाबा विश्वनाथ के कुछ “बम”
योगी बम – यह बन्दा डीजे के शोर पर नाच रहा था। मैने फोटो लेने का उपक्रम किया तो वह अपना चेहरा आगे करने लगा। मैने कहा, तुम्हारे मुंह का नहीं, पीठ का फोटो लेना है। योगी-बम का!
विजया रेस्तरॉं की री-विजिट
[…] तिवारी जी उगापुर के रहने वाले हैं। उनका कुटुम्ब कार्पेट के व्यवसाय में अग्रणी है भदोही जिले में। उगापुर के कार्पेट फैक्टरी में उनकी भी हिस्सेदारी है। पच्चीस बीघा की बटाई पर दी गयी खेती है। वाराणसी में लंका में मकान है। पर कारपेट और खेती से इतर कुछ करने का मन बना तो यह रेस्तरॉं खोला है उन्होने। […]