दौलतपुर से देवास

प्रेमसागर ने देवास के उत्तरी भाग में यात्रा की। आष्टा (जो सिहोर जिले में आता है और देवास के साथ जिसकी सीमा पार्वती नदी तय करती हैं) से चल कर वे दौलतपुर पंहुचे थे। दौलतपुर सतपुड़ा अभयारण्य से सिहोर-देवास-इंदौर की ओर बाघ के विचरण क्षेत्र का एक हिस्सा है जो अब टूट रहा है, छीज रहा है। दौलतपुर से सवेरे पांच बजे के आसपास पश्चिम दिशा में चल कर वे आठ बजे तक सोनकच्छ में थे।

सोनकच्छ एक मंझले आकार का कस्बा है जो शहर बनने की ओर अग्रसर है। यहां जैन समुदाय की अच्छी खासी उपस्थिति है और प्रेम को यहं जैन मंदिरों और स्कूलों के दर्शन हुये चलते चलते। इसके पश्चिम में कालीसिंध नदी है। जिसका एक चित्र प्रेमसागर ने भेजा है। कालीसिंध पार्वती से बड़ी नदी है; पर उसका चित्र बहुत सुंदर नहीं है। जल काफी दिखता है पर जल की गुणवत्ता यूं ही नजर आती है। हो सकता है चित्र अच्छा न आया हो। पर कालीसिंध देख कर मुझे उत्फुल्लता नहीं हुई।

कालीसिंध पार्वती से बड़ी नदी है; पर उसका चित्र बहुत सुंदर नहीं है। जल काफी दिखता है पर जल की गुणवत्ता यूं ही नजर आती है। हो सकता है चित्र अच्छा न आया हो।

सवेरे जब मैंने उनके साथ प्रात बातचीत का कर्मकाण्ड सम्पन्न किया तो वे सोनकच्छ से गुजर चुके थे और कालीसिंध के चित्र ले चुके थे। मुझे लगा कि शायद प्रेम ने ही चित्र अच्छा न लिया हो नदी का; पर जब गूगल नक्शे पर खंगाला तो उससे भी बदसूरत चित्र दिखे नदी के। किसी भी नदी – ताल या मशहूर जगह वाले लोगों को अब यह देखना चाहिये कि उनकी इण्टरनेट पर उपस्थिति कितनी अच्छी या खराब बन रही है। लोग अपना फेसबुक पेज और इंस्टाग्राम तो चमकाते हैं पर उनकी तहसील या नदी नेट पर लीद रही है – इसकी फिक्र नहीं करते। इतना बढ़िया नाम है सोनकच्छ। पर मैं वहां जाना-रुकना नहीं चाहूंगा। :-(

आज 40-42 किलोमीटर की पदयात्रा प्रेमसागर ने बड़ी तेजी से सम्पन्न की। उनके मूवमेण्ट को ले कर मुझे आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता थी। दोपहर तीन बजे के बाद अपना लोकेशन शेयर करने की अवधि बढ़ाना भूल गये वे, पर तब तक वे देवास के 12-14 किमी के आसपास आ चुके थे। शाम पांच बजे वे देवास में थे। रास्ते में दो तीन नदियां और मिली उन्हें। पर आज नदियों को ले कर मन में (कालीसिंध को देख कर) मायूसी है।

रास्ते में दो तीन नदियां और मिली उन्हें। पर आज नदियों को ले कर मन में (कालीसिंध को देख कर) मायूसी है।

देवास का उत्तरी भाग पठार है, जिसकी हल्की ढलान उत्तर दिशा की ओर है। दक्षिण में विंध्य की पहाड़ियाँ हैं और उनके परे नर्मदा जो देवास की खरगौन-खण्डवा-हरदा जिलों के साथ सीमा बनाती हैं। ये नदियां – और छोटी बड़ी आधा दर्जन भर होंगी देवास और आष्टा के बीच – सारी विंध्य की गोद से निकली हैं। सब उत्तरमुखी हैं। सब एक दूसरे में मिल कर अंतत: कालीसिंध और पार्वती में, फिर चम्बल में और उसके बाद यमुना में मिलती हैं। यमुना प्रयाग में गंगा बन जाती है। इस प्रकार नदियों की कनेक्टिविटी की सोची जाये तो देश एक है, संस्कृति एक है, हम एक हैं का भाव प्रबलता से आता है। … प्रेमसागर यह यात्रा न कर रहे होते और मैं उन्हे डिजिटली पछियाये न चल रहा होता तो यह भाव मन में आता भी नहीं। :-)

वैसे भी, मैकल-अमरकण्टक से जल उठा कर चलते भाई बहन – नर्मदा और शोणभद्र – नर्मदेय क्षेत्र को गांगेय क्षेत्र से जोड़ते तो हैं ही! यह जुड़ाव मालूम तो था पर उसका गहरे से अहसास प्रेमसागर की यात्रा ही करा रही है। अभी आगे ज्योतिर्लिंग की कांवर यात्रा पूरे देश को जिस प्रकार मानसिक रूप से जोड़ेगी; वह अभूतपूर्व होगा। आशा करें कि प्रेमसागर से यह तालमेल बना रहे।

देवास से तीन चार किलोमीटर पहले राजकुमार जी मिले।

देवास से तीन चार किलोमीटर पहले राजकुमार जी मिले। दौलतपुर के किसी वन रक्षक जी ने उन्हे प्रेमसागर के बारे में सूचना दे रखी थी। बड़ी देर से वे सड़क किनारे इंतजार कर रहे थे। जोगिया कुरता पहने और कांवर लटकाये प्रेमसागर को पहचानना कोई कठिन काम नहीं। उन्होने देखा, रोक कर प्रेमसागर को बढ़िया जलेबी का नाश्ता कराया। और विदा करते समय प्रेमसागर को पांच सौ एक रुपया भी दिया! प्रेमसागर की सरलता अभी भी वैसे ही बरकरार है। बल्कि अपनी प्रसन्नता या मान का कोई और भाव, व्यक्त करने में वे मुझसे और भी सहज हो गये हैं। उन्होने यह घटना मुझे चहक कर बताई – “मेन बात है भईया कि हम किसी से कुछ मांगते नहीं। कभी किसी से कोई अपेक्षा से देखा-बोला नहीं। पर महादेव मेरा काम चलाये जा रहे हैं।”

काम चलाये जा रहे हैं? अरे बहुत मौज है। बढ़िया जलेबी का नाश्ता और ऊपर से 501 रुपया! मन होता है मैं भी एक जोड़ी जोगिया रंग का कुरता सिलवा लूं। जींस का पैण्ट पहनने की बजाय घर में पड़ी सफेद धोतियों को लुंगी की तरह बांधना शुरू कर दूं। आखिर कोई तो शुरुआत कर देगा जलेबी का नाश्ता और पांचसौ एक रुपये की दक्षिणा देना। … मैं अपनी यह सोच प्रेमसागर को बताता हूं तो वे हंसते हुये कहते हैं – “यहीं से खरीद कर भिजवा दूं क्या भईया कुरता?”

अच्छा लगा! यह रुक्ष कांवर यात्री मुझसे हास्य और विनोद का आदान-प्रदान करने की ओर खुला तो सही! आपसी सम्बंधों की बहुत सी बर्फ हम तोड़ चुके हैं। कई बार प्रेमसागर मुझसे झिड़की खा कर भी बुरा नहीं माने हैं। मेरी नसीहतें भले ही न मानी हों पूरी तरह; पर अवज्ञा का भाव कभी नहीं था। और अब यह हंसी ठिठोली – महादेव सही रूपांतरण कर रहे हैं अपने चेले का!

देवास के पहले पड़ा एक मंदिर

देवास के पहले एक शिव मंदिर में प्रेमसागर मत्था टेके होंगे। वहां भेरू बाबा भी थे और शिव जी का परिवार भी। मुझे मंदिर अच्छा लगा!

देवास में वन अधिकारियों के साथ प्रेमसागर

देवास में चामुण्डा माता का मंदिर है पहाड़ी पर। मुझे तो, जब मैंं वहां रेल अधिकारी था तब चेला लोग एक जीप में ऊपर तक ले गये थे। वर्ना मैं मंदिर तक जाता नहीं। प्रेमसागर भी नहीं जा पाये। बयालीस किलोमीटर यात्रा की थकान के बाद पहाड़ी चढ़ने की हिम्मत नहीं बंधी। दूर से ही मां चामुण्डा को प्रणाम किया।

वह मंदिर पहाड़ी पर है। देवी का वास है। शायद देवी-वास से ही शहर/जगह का नाम देवास पड़ा है। देवास मेरी स्मृति में औसत सा शहर है। बेतरतीब किचिर पिचिर है। अब शायद बदल गया हो। उसका रेलवे स्टेशन और यार्ड मेरी नौकरी के शुरुआती दिनों में सबसे निम्न स्तर की इण्टरलॉकिंग और सिगलनिंग वाला इकहरी लाइन का दुखदाई स्टेशन हुआ करता था। और उसके परिचालन ने बहुत तनाव दिये हैं। बहुत नींद की गोलियां खिलाई हैं। वहां का स्टाफ और सोया खली लदान करने वाले लोग अलबत्ता बहुत अच्छे थे। कुलमिला कर देवास एक बार फिर देखना तो चाहूंगा मैं। काफी बदल गया होगा। वहां करेंसी नोट छपते हैं भारत की जरूरतों के लिये। अपनी शुरुआती नौकरी में उनका वीपीयू में काफी लदान कराया है मैंने। बैंक नोट प्रेस भी देखा है। अब शायद डिजिटल ट्रांजेक्शन के युग में बी.एन.पी. का पुराना जलवा काम हो गया होगा। … दो दशक बाद वह सब देखना बनता है! पर क्या क्या बनता है और उसमें से क्या साकार होगा पण्डित ज्ञानदत्त! आप छियासठ साल के हैं अब! :-)

देवास में विश्राम करते प्रेमसागर

कल प्रेमसागर उज्जैन के लिये रवाना होंगे।

हर हर महादेव। जय महाकाल!

*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची ***
पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची
प्रेमसागर पाण्डेय द्वारा द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा में तय की गयी दूरी
(गूगल मैप से निकली दूरी में अनुमानत: 7% जोडा गया है, जो उन्होने यात्रा मार्ग से इतर चला होगा) –
प्रयाग-वाराणसी-औराई-रीवा-शहडोल-अमरकण्टक-जबलपुर-गाडरवारा-उदयपुरा-बरेली-भोजपुर-भोपाल-आष्टा-देवास-उज्जैन-इंदौर-चोरल-ॐकारेश्वर-बड़वाह-माहेश्वर-अलीराजपुर-छोटा उदयपुर-वडोदरा-बोरसद-धंधुका-वागड़-राणपुर-जसदाण-गोण्डल-जूनागढ़-सोमनाथ-लोयेज-माधवपुर-पोरबंदर-नागेश्वर
2654 किलोमीटर
और यहीं यह ब्लॉग-काउण्टर विराम लेता है।
प्रेमसागर की कांवरयात्रा का यह भाग – प्रारम्भ से नागेश्वर तक इस ब्लॉग पर है। आगे की यात्रा वे अपने तरीके से कर रहे होंगे।
प्रेमसागर यात्रा किलोमीटर काउण्टर


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

10 thoughts on “दौलतपुर से देवास

  1. ओम प्रकाश तिवारी, फेसबुक पेज –
    आपको इतना जल जो दिख रहा है वह वर्षा के कारण है। 1 या 2 माह बाद कीचड़ या सूखा पड़ा होगा इसके आँचल में साथ मे बदबू मिश्र होगी ।.
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    देवास बहुत परिवर्तित हो गया है; इंदौर के सानिध्य के साथ ….विकास भी हुआ है …..आपका रेल्वे स्टेशन भी बहुत प्रगति पर है ……..पधारिये कभी ………….स्वागतं है आपका ।

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  2. महादेव सब चिन्तायें हर लेते हैं, प्रेमसागरजी भी निर्द्वन्द्व हो अपने उत्फुल्ल मानसिक स्वरूप को प्राप्त हो रहे हैं।

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    1. एक मिशन, एक जुनून, एक सनक पाल ली जाए तो चिंता गायब! और जो हो रहा है उसे महादेव को अर्पित करने का भी मजा अभूतपूर्व है! 😊

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  3. प्रेम जी के UPI पते पर समस्या आ रही है ट्रांजेक्शन में। कोई और उपाय?

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    1. उसी फोन नंबर पर फोन पे पर पैसा दे सकते हैं,जिसके बाद @ybl लिखा है. या 9905083202@axl पर ट्राई कीजिए.

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  5. उमेश पाण्डेय, फेसबुक पेज –
    श्री प्रेम जी की यात्रा के साथ आपके मानस यात्रा की भी जयजयकार है।शतशत नमन🙏🙏

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