प्रेमसागर कल देवास से उज्जैन पंहुच गये हैं। आज क्षिप्रा विहार फॉरेस्ट नर्सरी के रेस्टहाउस में नहा धो कर, स्नान ध्यान कर तैयार हैं महाकालेश्वर को कांवर का जल चढ़ाने के लिये। कठिन तप किया है उन्होने – अमरकंटक से जल ले, कांवर उठा कर पैदल चलते चले आये हैं उज्जैन। और अमरकंटक से ही नहीं, प्रयाग संगम से बाबा विश्वनाथ धाम होते हुये पैदल ही चल रहे है।
महाकालेश्वर के दर्शन या देश के इस भाग में पहले कभी प्रेमसागर शायद आये नहीं हैं। उज्जैन आने और महाकाल को जल चढ़ाने की सनसनी उन्हें हो रही होगी। वह औत्सुक्य साझा करने वाले कौन होंगे? वन विभाग के कुछ कर्मी। और कोई सुहृद नहीं। कोई परिवार वाला नहीं। पर मध्यप्रदेश के वन विभाग के लोग ही उनका परिवार हैं। उनके करीब डेढ़ सौ लोगों के फोन नम्बर प्रेमसागर के फोन में जुड़ चुके हैं। और वे सभी शुभिच्छा रखने वाले लोग हैं। “भईया, मैं पहले पहल हनुमना के वन विभाग के रेस्ट हाउस में ठहरा था। वहां के लोग रोज फोन कर मेरा हालचाल पूछते हैं।” – प्रेम का कहना है।
तब जब हनुमना की पोस्ट लिखी थी; प्रेमसागर की मुझसे कोई विशेष बात नहीं होती थी, उनकी जानकारी सतही हुआ करती थी। अब तो घना तालमेल हो गया है। अब प्रेमसागर मुझसे अपना दुख-सुख शेयर करने लग गये हैं। पचास-बावन दिन में बहुत अंतर आ गया है।

क्षिप्रा विहार वन रोपनी से महाकाल मंदिर करीब छ किलोमीटर की दूरी पर है। प्रेमसागर वहां अपनी कांवर ले कर पैदल ही जायेंगे। एक घण्टा, या कुछ ज्यादा उसमें लगेगा।
सवा दस बजे हैं, त्रिपाठी जी और चौहान जी उन्हें साथ लेने आ चुके हैं। निकल ही लिये हैं प्रेमसागर महाकाल मंदिर के लिये। मैंने उन्हें शुभकामनायें दी। “हर हर महादेव भईया। ऐसे ही आशीर्वाद देते रहियेगा।” सुन कर (मेरी टीयर डक्ट में अवरोध है, आंखें यूं ही नम हो जाती हैं) मैं भी सेण्टीमेण्टल हो जाता हूं। इस अजनबी व्यक्ति के साथ पिछले डेढ़ महीने से कितना अपनत्व हो गया है! मुझे हो गया है और प्रवीण चंद्र दुबे जी भी बताते हैं कि उन्हें भी बहुत फिक्र रहती है इस एकाकी कांवर यात्री की! सो प्रेमसागर अकेले नहीं हैं यात्रा में! 🙂

यह पोस्ट नियत समय – इग्यारह बजे पोस्ट होगी। प्रेमसागर का देवास से उज्जैन आने; महाकालेश्वर को जल चढ़ाने; तत्पश्चात उज्जैन की गतिविधियों पर पोस्ट कल होगी।
आज तो बस शुभकामनायें हैं, प्रेमसागर को!
जय महाकाल! हर हर महादेव!
अपडेट –
इग्यारह बजे से दो-तीन मिनट पहले प्रेमसागर अपने पीतल के लोटे से अमरकंटक का जल महाकाल को चढ़ा चुके थे। मंदिर के बाहर निकल कर यह चित्र भेजा उन्होने –

मंदिर के अंदर मोबाइल के कर जाने की अनुमति नहीं थी। सो वहीं के पण्डित जी के मोबाइल से लिये दो चित्र भेजे हैं जिनमें लोग महाकाल की पूजा कर रहे हैं और दरवाजे पर अपना कलश किये प्रेमसागर प्रतीक्षा कर रहे हैं।

सवा बारह बजे प्रेम रेस्ट हाउस वापस लौट आयेहैं। कुछ लोग उनसे मिलना चाहते हैं। मिलेंगे तो प्रयोजन पता चलेगा। अभी महाकाल मंदिर के अतिरिक्त उज्जैन के अन्य मंदिरों का भ्रमण नहीं हुआ है। कल सवेरे भोर में प्रेमसागर को इंदौर के लिये निकलना है कांवर ले कर। अगला गंतव्य है ॐकारेश्वर महादेव!
*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है। नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ। और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है। पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |
प्रेमसागर पाण्डेय द्वारा द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा में तय की गयी दूरी (गूगल मैप से निकली दूरी में अनुमानत: 7% जोडा गया है, जो उन्होने यात्रा मार्ग से इतर चला होगा) – |
प्रयाग-वाराणसी-औराई-रीवा-शहडोल-अमरकण्टक-जबलपुर-गाडरवारा-उदयपुरा-बरेली-भोजपुर-भोपाल-आष्टा-देवास-उज्जैन-इंदौर-चोरल-ॐकारेश्वर-बड़वाह-माहेश्वर-अलीराजपुर-छोटा उदयपुर-वडोदरा-बोरसद-धंधुका-वागड़-राणपुर-जसदाण-गोण्डल-जूनागढ़-सोमनाथ-लोयेज-माधवपुर-पोरबंदर-नागेश्वर |
2654 किलोमीटर और यहीं यह ब्लॉग-काउण्टर विराम लेता है। |
प्रेमसागर की कांवरयात्रा का यह भाग – प्रारम्भ से नागेश्वर तक इस ब्लॉग पर है। आगे की यात्रा वे अपने तरीके से कर रहे होंगे। |
कई कारणों से से मैं कई दिनों के बाद सीधे उज्जैन में प्रेमसागर जी मिल रहा हूँ आपके माध्यम से हालाँकि पता नही क्यों मुझे आत्मग्लानि सी हो रही है , पीछे छूटे हुए सारे पोस्ट पढने बाकी है पर बाबा महाकाल से मिलने पर मेरी भी आँख नम हो आई है | कभी तो लगता है महादेव ने भी ऐसा नही सोचा होगा की भक्त का ख्याल गणों ने इतने अच्छे रखाहोगा , विशेष रूप से आप और प्रवीण जी | जय हो बाबा औघड़ दानी और उनके भक्तो की |
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जय हो, जय हो कृष्ण देव जी!
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जय हो, हर हर महादेव।आशुतोष को इतना तुष्ट करने में लगे प्रेमसागर जी को कितना आशीर्वाद मिल रहा होगा। उनको सब प्रकार से साधे हुये आपको, प्रवीण दुबेजी को और समस्त वनकर्मियों को भी महादेव कृपादृष्टि में शामिल किये होंगे। आपको भी सम्हाले और प्रेरित करती भाभीजी को सीधे कैलाश से आशीर्वादात्मक संचार प्राप्त हो रहे होंगे। हर हर महादेव।
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हर हर महादेव! प्रेम सागर तो चार्ज हैं ही, हम लोग भी उसका प्रभाव अपने में महसूस कर रहे हैं!
अब लगता है कि यात्रा की संपूर्णता से ज्यादा यात्रा का आनंद – हर स्टेज पर Bliss – ज्यादा महत्वपूर्ण है!
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जय महाकाल! हर हर महादेव!
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जय हो! कुछ अंशदान की जिए प्रभु! बन्दे का upi address दे रखा है पोस्ट में. 😊
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अभी गिनती करने पर पता चला कि मेघदूत के “पूर्वमेघ” के ६६ पदों में कम से कम ११ पद कालिदास ने उज्जयिनी और महाकाल मन्दिर को समर्पित किए हैं (३१ से ४१)। उनमें से एक पद, ३८वें, का प्रारम्भ है: “किसी अन्य समय पर महाकाल पहुँचने पर भी हे मेघ! सूर्यास्त तक होने तक वहाँ अवश्य ठहरना…” (उसके बाद होने वाली आरती में नगाड़े का काम देने के लिए :-)) (अनुवाद दयाशंकर शास्त्री जी की व्याख्या पर आधारित)
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🙏 आज आपका पोस्ट पड़कर एक क्षण के लिये मेरी भी आंखे नम हो गयी। कभी- कभी जिसे हम साधारण व्यक्ति समझते है वो अपने दृढ़ संकल्प से इतिहास रचते हैं ।
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जय हो जय हो, मृत्युंजय जी!
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Sir Premsagar ji ke man ki anubhuti bhi apke liye alag hi hogi apka vishesh lagav dhany h ap
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ब्लॉगिंग भी कितना पास ले आती है….
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