भीमाशंकर – सातवाँ ज्योतिर्लिंग दर्शन सम्पन्न

प्रेमसागर ने कल पौने दो बजे खबर दी की उन्होने भीमाशंकर की भी कांवर यात्रा सम्पन्न कर ली है। उन्होने वहां के कुछ चित्र भी भेजे।

सक्षिप्त बातचीत में यह भी बताया कि आठवें ज्योतिर्लिंग की यात्रा अगले दो तीन दिन में पूरी कर लेंगे। उसके बाद कुछ दिन पुणे में गुजार कर हैदराबाद के लिये प्रस्थान करेंगे।

*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची ***
प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है।
नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ।
और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है।
पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची
भीमाशंकर 1

अपने साथ संक्षिप्त सा सामान – दो तीन किलो – ले कर चलते हैं। अगले दिन कहां रुकना है उसकी चिंता से मुक्त हैं। सामान साथ में ढोना नहीं है; सत्तू, चिवड़ा, चना का इंतजाम नहीं करना है। ऐसे में केवल घूमते हुये वे प्रकृति को ज्यादा अच्छे से निहार सकते हैं। “कंकर में शंकर की गहन अनुभूति” कर सकते हैं। पर शायद वह अनुभूति यात्रा के कष्टों में होती है यात्रा के कम्फर्ट में नहीं। प्रेमसागर अब एस्केप वेलॉसिटी पा चुके हैं। शायद। अब उनके पास इतने अधिक सम्पर्क हैं, इतना नेटवर्क है कि फोन पर बतियाने में ही समय जाता होगा, प्रकृति और आसपास के निरीक्षण में नहीं। मेरे हिसाब से वे एक विलक्षण यात्रा को रेत की तरह झरने दे रहे हैं! कांवर यात्रानुशासन का कितना पालन हो रहा है और कितने नये नियम बनाये हैं उन्होने, इसपर कोई बातचीत नहीं हुई। मैं बातचीत करना भी चाहूं तो मेरी पत्नीजी खबरदार करती हैं – “तुमने जितना करना था कर दिया। तुम्हें जो अनुभव मिलना था, मिल चुका। और भी कई विषय हैं, और भी कई लोग हैं अनुभव के लिये। उनपर ध्यान दो। वह व्यक्ति तुमसे मुक्त होना चाहता है, और हो गया है। उसके प्रति तुम्हारी यह आसक्ति मेरी समझ नहीं आती।”

भीमाशंकर 2

समझ में मुझे भी नहीं आता। प्रेमसागर की एस्केप वेलॉसिटी पाना मुझे समझ नहीं आता। कभी कभी यह लगता है कि कांवर यात्रा का उनका मूल ध्येय ही वही था। बचपन का लिया संकल्प इसी के निमित्त था।

भीमाशंकर मंदिर के बाहर प्रेमसागर

अगले ज्योतिर्लिंग दर्शन पर शायद फिर प्रेमसागर फोन करेंं। शायद फिर कुछ चित्र मेरे पास ठेलें। शायद।


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

14 thoughts on “भीमाशंकर – सातवाँ ज्योतिर्लिंग दर्शन सम्पन्न

  1. भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग से २.५ किलोमीटर पहले बहुत भीड़ एवम बहुत तेज बारिश की वजह से सावन के आखरी रविवार को सपरिवार बिना दर्शन के वापस लौटना पड़ा

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      1. मैं इसके पहले भारत के विभिन्न नगरों में सवा करोड़ शिवलिंग निर्माण यज्ञ अपने गुरुदेव पंडित देवप्रभाकर शास्त्री जी के सानिध्य में यज्ञ में सामिल हो चुका हूं |
        ये मेरा सातवे ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने की अति आवश्यक इच्छा थी जो भीड़ और अति वर्षा के कारण संभव नहीं हो पाया हमारे बच्चे पुणे में ही जॉब करते है ऐसी उम्मीद है कि भोलेनाथ हमे बुलाकर हमारी बारह ज्योर्तिलिंग की इच्छा को जरूर पूर्ण करेंगे। हर हर महादेव

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  2. गजेंद्र कुमार साल्वी, फेसबुक पेज पर –
    प्रभु ने चाहा तो जीवन में दर्शन लाभ जरूर होंगे 🙏

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  3. लहरी गुरु मिश्रा, फेसबुक पेज पर –
    आदरणीय –
    श्री पाण्डेय बाबु जी
    सादर चरण स्पर्श 🙏
    पद यात्रा को लेकर बदले – बदले आप के मन मानस से हम चिंतित हैं । जब आप से आपके भदोही हाईवे पद यात्रा के ही दौरान मिले थे आप सहर्ष ही प्रथम बार पर गले मिले थे तब के मनोभाव और अब के मनोभाव में बहुत असमानता दिख रही है ।
    महादेव जी ने प्रेम बाबा जी को आपसे भदोही में जोड़ा , वैसे ही आगे भी महादेव ही सभी को जोड़ रहे हैं तो ,आप में यह चीढ सी क्यों बढ़ रही है ?
    द्वादश ज्योतिर्लिंग महादेव की पद यात्रा दर्शन का ही माहत्म्य है ,वर्ना प्रेम नाम के बहुत से लोग हैं इस धरा पर है ।
    आप के अपने मनोभावों पढ़ कर अब हम ऐसा सोचने को विवश हो रहे हैं की वे आप ही भदोही हाईवे पर न मिले होते ?
    आप के आतिथ्य को वहीं उन्हें अस्वीकार कर देना चाहिए था । जैसा आगे उनसे राह में मिल रहे लोगों के प्रति आप चाहते हैं ?
    एक सवाल ,अगर वे भदोही में आप से न मिले होते तो क्या वे वहीं से घर लौट गये होते ? नहीं । उनका संकल्प है ।
    वे दूर प्रदेश मे है कम से कम आप उन्हें अपने मन भावों से कष्ट तो न ही दें , स्वतंत्र मनोभावों से उन्हें पद यात्रा करने दें ,यह महादेव की यात्रा है आप भी मंगलमय यात्रा की कामनाएं करें ।
    सनातन किसी को लेश मात्र भी दु:ख पहुंचाना नहीं सिखाता ।

    आप बड़े हैं ,विद्वत है , हम बुद्धि विवेक व उम्र में छोटे हैं ।धृष्टता कर दी है ,क्षमा चाहता हुं ।
    आशा है विद्वत जन की लेखनी से महादेव भक्त मर्माहत न हो ।
    🙏🙏

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    1. शेखर व्यास फेसबुक पेज पर –
      Lahari Guru Mishra Gyandutt Pandey ji , 🙏🏻 सर ,बात तो गहरी कह दी मिश्रा जी ने । क्या जुड़ाव पहले होने मात्र या उंगली पकड़ लेने भर से अधिकार स्थापित हो गया ? मैं स्वयं प्रेम जी से बगैर मिले उनकी यात्रा के बदलते स्वरूप (उद्देश्य नही) से व्यथित हो रहा था कि उनका फोन भी नही उठाया । फिर आपका व्यथित होना स्वाभाविक है । किंतु मिश्रा जी के इस संक्षिप्त सारगर्भित प्रश्नवाचक लेखन ने मुझे विचार में डाल दिया (हालांकि कष्ट में डालने जैसे विचार निनांत अप्रासंगिक और तत्काल रद्दीकरण योग्य हैं ,परिवार के वरिष्ठ द्वारा मनन कष्ट में नहीं डालता )।🙏🏻
      हरि करे सो खरी 🙏🏻 अच्छा ही हुआ ,अच्छा ही होगा

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  4. अब प्रेम सागर जी पलायन वेग पाकर अपनी कछा में प्रवेश कर चुके हैं तो उसके अनुरूप ही जाएँगे।सभी वेगों का अपना एक स्वभाव होता है, उनको उसी पर छोड़ देना चाहिये।हाँ वो अगर कभी अपनी कछा में गतिमान रहते हुए इधर उधर झाँकें और कुछ साझा करना चाहें तो उसको भी सहर्ष स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिये। 😀

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    1. अब वे self propelled vehicle हैं. आत्मनिर्भर. उनके व्यवहार में सज्जनता है – यही उनका बड़प्पन है.

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  5. जनार्दन वाकनकर, ट्विटर पर –
    बहुत दिनों बाद अपडेट मिला
    आपके माध्यम से

    जय हो

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  6. अंजनी कुमार सिंह, ट्विटर पर –
    धीरे धीरे एक सेलिब्रिटी के रूप में अवतरित हो रहे है शायद ।अच्छी बात है ।जितना बड़ा संकल्प ले कर चले है वो महादेव पूरी करें ।हमसब यही कामना कर सकते है । आप उनके लिए शुरुआत में जितना कुछ किये है उसका कुछ तो ख्याल रखना ही बनता है ।
    #हर__हर_महादेव

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  7. भीमाशंकर तक पहुँचना ही बहुत रोमांचक हैं। प्राकृतिक संपदा से भरपूर पहाड़ चढ़कर, फिर थोड़ा नीचे उतरना। ऊँचे पहाड़ से दूर तक निहारना।

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    1. मेरे एक मित्र अरुण सांकृत्यायन जी ने बताया था कि कितनी विघ्न बाधाओं को पार करते वे भीमाशंकर पंहुचे थे। आशा है प्रेमसागर को वह सब नहीं करना पड़ा होगा।

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