प्रेमसागर – मैहर दर्शन के साथ शक्तिपीठों की पदयात्रा प्रारम्भ


फरवरी 21, 2023

प्रेमसागर एक बार फिर निकल लिये हैं। उन्होने कुछ दिन पहले मुझे मेरे घर पर बताया था कि उन्हें बार बार स्वप्न आते थे मातृशक्ति के। तो लोगों ने सलाह दी कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों की कांवर पदयात्रा सम्पन्न की है तो उन्हें मातृशक्ति के पीठों की पदयात्रा कर अपने संकल्प को एक नई पूर्णता देनी चाहिये। और यह धुन का धनी व्यक्ति, अकेले निकल लिया है शक्तिपीठों की पदयात्रा पर।

कल अमावस्या के दिन प्रेमसागर अपने तात्कालिक निवास – पियावन आश्रम, रींवा से मोटर से चल कर मैहर पंहुचे। उन्होने माँ शारदा के पीठ और उस शक्तिपीठ के भैरव काल भैरव के दर्शन किये। विंध्य पर्वत माला के त्रिकूट पर्वत पर स्थित माँ शारदा के दर्शन के लिये श्रद्धालुओं को 1000 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा माँ शारदा के दर्शन के बाद प्रारम्भ होनी थी, तो वहां तक उन्होने पंहुचने के लिये रोप-वे का सहारा लिया।

शारदापीठ, मैहर

आज से यात्रा विधिवत प्रारम्भ कर दी है प्रेमसागर ने। मैहर से। अकेले। उनका कहना है कि सही यात्रा तो अकेले ही होती है भईया। अन्यथा लोगों के साथ चलने में मन भटकता है। प्रेमसागर ने एक लाठी ले रखी है। शक्तिपीठ यात्रा के अनुशासन से सिर और दाढ़ी घुटा रखा है। लाल वस्त्र पहने हुये हैं और बगल में एक नया स्लिंग बैग ले रखा है। इतना ही है उनका हजारों किलोमीटर चलने का सामान। “बाकी तो भईया माई जानें और महादेव जानें”।

प्रेमसागर, शक्तिपीठ पदयात्री

पहले के तरह प्रेमसागर ने बहुत प्लानिंग नहीं की है यात्रा की। पूरी यात्रा का मार्ग क्या होगा, कौन कौन से पीठ जायेंगे, क्या आदिशंकर के बताये 18 महाशक्तिपीठों को वह अपना आधार बनायेंगे – यह सब धीरे धीरे वे ही बतायेंगे। द्वादशज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा के दौरान मैं उन्हें बहुत कुछ कहता-बताता था। अब उस यात्रा से उनके पास एक नेटवर्क बन गया है। अब मैं मूलत: यात्रा का दर्शक भर हूं। उसी हिसाब से विवरण लिखूंगा। हाँ, मेरी अपेक्षा होगी कि वे मातृशक्ति को यात्रा के दौरान पूरी प्रकृति में अनुभव करें। मेरे लिये माता माहेश्वरी से ले कर वे महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती – सब हैं। और यात्रा में वह कहीं न कहीं दीखना चाहिये। अपेक्षा रहेगी। बाकी प्रेमसागर जानें कि वे मुझे क्या बताते हैं।

आज सवेरे की चाय के लिये रुके प्रेमसागर इस दुकान पर

आज सवेरे सात बजे उन्होने बात की। आधा घण्टा पहले पीडब्ल्यूडी के रेस्ट हाउस से निकले हैं। वहां रुकने का प्रबंध एमके त्रिपाठी जी ने किया है। शायद प्रवीण दुबे जी की भूमिका होगी उनके मध्यप्रदेश के इंतजाम में। अब प्रेमसागर आज 50-60किमी चल कर रींवा पंहुचेंगे। वहां से वे प्रयाग जायेंगे माधवेश्वरी देवी के स्थान पर या विंधय्वासिनी/अष्टभुजा के दर्शन के लिये विंध्याचल – यह वही बतायेंगे।

उनकी इस यात्रा के लिये मुझे भी कुछ करना होगा। बहुत कुछ सामग्री नेट पर देखनी होगी। शाक्त परम्परा से मैंने दूरी ही बना कर रखी है। बचपन में विंध्यवासिनी मांंके दर्शन के दौरान बलि देखी थी तो उसका यह प्रभाव पड़ा कि उसके बाद किसी शाक्त मंदिर में नहीं गया। उज्जैन की हरसिद्धि मंदिर के प्रांगण में कई बार गया पर दर्शन नहीं किये। … शायद माता किसी ध्येय से प्रेमसागर की इस डिजिटल जोड़ीदारी की सोच रही हैं। देखें, क्या मुझमें भी कुछ परिवर्तन होता है?!

मातृशक्ति को नमन! मात्रे नम:!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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