मडैयाँ डेयरी और जंगला के संतोष यादव

मडैयाँ डेयरी पर दूध लेने जाता हूं मैं। रोज। आम तौर पर बहुत भीड़ रहती है। सवेरे सात बजे से दस बजे तक 150 से ऊपर दूध के सेम्पल ले कर किसानों, पशुपालकों से दूध लेते हैं मड़ैयाँ डेयरी के अजय और सुभाष। एक सेम्पल में लगभग एक मिनट का समय लगता है। सेम्पल लेने, उसे मिक्स करने और लैक्टोस्कैन कर उसके फैट के आधार पर उसकी स्लिप निकालने और किसान को कैश में दाम देने में एक मिनट तो कम से कम लगते ही हैं। सिर उठाने को फुर्सत नहीं होती अजय और सुभाष को। मैं थोड़ा ऑफ-पीक ऑवर में जाता हूं, पर तब भी पंद्रह बीस मिनट मुझे इंतजार करना होता है। दूध ले कर आने वालों को भी उतना या उससे ज्यादा इंतजार करना होता है।

मडैयाँ डेयरी का कलेक्शन सेण्टर। खडे में सबसे दांये सुभाष हैं। उसके बाद पीली टी-शर्ट में अजय पटेल।

मैं क्यूईंग थ्योरी (queuing theory) का प्रयोग कर सोचता हूं कि एक अतिरिक्त लेक्टो स्कैनर और टेलर के लिये एक व्यवस्थित कैश बॉक्स हो तो लाइन कम लम्बी हो सकती है। लेक्टोस्कैनर लगभग 45 सेकेण्ड का समय लेता है दूध के सेम्पल को विश्लेषित कर उसका तापक्रम, फैट, प्रोटीन, ठोस, लेक्टोजन, घनत्व आदि बताने के लिये। यह सबसे क्रिटिकल तत्व है एक ग्राहक को डील करने में। लोगों का वेटिंग टाइम घट कर पांच मिनट या उससे कम हो सकता है। एक लेक्टो स्कैनर 25-30 हजार का होगा। ज्यादा मंहगा नहीं है। डेयरी प्रबंधकों को क्यू की लम्बाई कम करने के लिये ध्यान देना चाहिये।


आज डेयरी पर कुछ और देर से गया था। अमूमन पौने दस बजे तक जाता था, आज साढ़े दस बज गये। भीड़ छंट चुकी थी। जंगला के संतोष यादव भर थे जिनका दूध स्कैन किया जा रहा था। उसका फैट निकला 6.9 प्रतिशत। सुभाष ने कहा – इसी में से आपको दे दें?

मेरा हिसाब किताब तय है अजय पटेल जी की डेयरी के साथ – मैं 6प्रतिशत से ज्यादा फैट वाला भैंस का दूध लूंगा और उसके 60रुपये किलो के भाव से दाम दूंगा। आज 6.9 प्रतिशत फैट पर मुझे क्या आपत्ति हो सकती थी! वैसे सामान्यत: मुझे 6.5 से 7.3 प्रतिशत फैट वाला दूध डेयरी पर मिलता है।

जंगला के संतोष यादव, जिनका दूध मुझे आज मिल रहा था; से बातचीत करने का समय निकल आया भीड़ न होने के कारण।

जंगला गांव यहां से 11 किमी दूर है। औराई से तीन-चार किमी आगे। वहां के संतोष सवेरे चार बजे उठते हैं। अपने घर के गाय गोरू की देखभाल करते और दुधारू पशुओं को दुहने के बाद अपने गांव के करीब 35-40 भैंसों-गायों को दुहते हैं। दुधारू पशुओं को दुहना बहुत मेहनत और कौशल का काम है। हर किसी के बस का नहीं। संतोष अपने हाथ दिखाते हैं – दुहने में लगी मेहनत से उनकी उंगलियों की बनावट ही बदल गयी है। जिन लोगों की गायों-भैंसों को वे दुहते हैं, उनसे दूध ले कर भदोही जाते हैं। वहां बीस के आसपास नियमित ग्राहक हैं। उनको दूध सप्लाई करते हैं। वापस आ कर उगापुर के कुछ ग्राहकों को दूध देते हैं। जो दूध बच जाता है उसे ला कर यहां मडैयाँ डेयरी के इस कलेक्शन सेण्टर पर देते हैं।

सवेरे चार बजे से ले कर इग्यारह बजे तक सघन काम करना होता है संतोष को।

दुधारू पशुओं को दुहना बहुत मेहनत और कौशल का काम है। हर किसी के बस का नहीं। संतोष अपने हाथ दिखाते हैं – दुहने में लगी मेहनत से उनकी उंगलियों की बनावट ही बदल गयी है।

मैं उनका चित्र लेने लगता हूं तो लजा जाते हैं संतोष – “कभी किसी कैमरे से फोटो नहीं खिंचवाया है मैंने।” मैं उन्हें अपने पास बैठ कर एक चित्र खिंचवाने की बात कहता हूं। तो वे झिझकते हुये पास आते हैं पर मेरे साथ बैठने को राजी नहीं हुये। पास में खड़े हो कर चित्र खिंचाया। “आप जैसे बड़े आदमी के साथ कैसे बैठ सकता हूं।”

अजय पटेल कहते हैं – “संतोष बहुत मेहनती लड़का है। और बहुत भरोसेमंद भी।” सुभाष संतोष से कहते हैं – “अब तोर नाउं सगरौं आई जाये। (अब तुम्हारा नाम सब तरफ आ जायेगा)।” वे मेरे लेखन; ब्लॉग; को अखबार जैसा कुछ समझते हैं।

बात चलती है मेहनत और आजीविका की। सुभाष संतोष की मेहनत की प्रशंसा करते हैं, पर उनका मानना है कि मेहनत से रोजी रोटी कमाई जा सकती है। धनी होने के लिये तो कुछ और की जरूरत है।

संतोष यादव झिझकते हुये पास आते हैं पर मेरे साथ बैठने को राजी नहीं हुये। पास में खड़े हो कर चित्र खिंचाया। “आप जैसे बड़े आदमी के साथ कैसे बैठ सकता हूं।”

दिन में सात आठ घण्टे इंटेंसिव मेहनत अजय, सुभाष, संतोष – सब करते हैं। सब प्रसन्न भी दिखते हैं। पर सभी शायद धन की कसौटी पर अपने को कई निठल्लों से कम ही मानेंगे। … पर मुख्य बात है कि जीवन में क्या चाहिये? रोजी रोटी, स्वास्थ्य और प्रसन्नता या फिर सम्पत्ति – धन? मैं तो फिलहाल अजय, सुभाष, संतोष से ईर्ष्या करता हूं।

संतोष जैसे सरल चरित्र से मिल कर दिन बन जाता है। वही हुआ आज!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

7 thoughts on “मडैयाँ डेयरी और जंगला के संतोष यादव

  1. सुधीर खत्री, फेसबुक पेज पर –
    ठंडक में संतोष जी की अंगुलियों का हाल

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