गुनरी और मड़ई

कटका पड़ाव के पास नेशनल हाईवे से सटे फुटपाथ पर थी वह मड़ई। दूसरी ओर गेंहूं का खेत। गेंहू लगभग तैयार। मड़ई का सम्बंध खेत से था या सड़क से – मैं अंदाज नहीं लगा पाया। उसके अंदर एक खाट थी और खाट पर गुनरी बिछी थी। गुनरी पुआल की चटाई जैसी होती है। गद्दे का काम करती है सर्दियों में। बिछाने पर गर्माहट रहती है।

बिस्तर पर मसहरी भी लगी थी, X शेप बनाती बांस की डण्डियों के सहारे। पर वह ऊपर उठा दी गयी थी। कोई था नहीं वहां। अपना बिस्तर – लेवा, कथरी, कम्बल आदि मोड़ कर कहीं जा चुका था वह।

ऐसी मड़ई में खटिया और खटिया पर पुआल की गुनरी – यह मोहक था दृश्य। सवेरे की सुनहरी सूरज की किरणों में सब कुछ चमक भी रहा था।

खाट का दृश्य मैंने कई तरह से लिया। पूरी मड़ई का, खाट का, गुनरी का। थोड़ी देर मैंने इंतजार भी की कि जिसकी मड़ई है वह आ जाये तो कुछ बात हो और उसका इस मड़ई में सोने का ध्येय पता चल सके। पर कोई मिला नहीं।

किसी और दिन आधा घण्टा पहले गुजरूंगा वहां से। मड़ई और गुनरी पर टैग लगा लिया है। कोई कहानी, कोई ब्लॉग पोस्ट तो निकलनी चाहिये उससे। आदमी कौन है, क्या करता है? सर्दी तो नहीं लगती वहां सोने में? कभी कुकुर सियार या नीलगाय तो नहीं आते? कई सवाल हो सकते हैं।

बिस्तर पर बिछी पुआल की बुनी गुनरी। बिस्तर पर मसहरी भी लगी थी, पर ऊपर कर दी गयी थी। कोई था नहीं वहां। अपना बिस्तर – लेवा, कथरी, कम्बल आदि मोड़ कर कहीं जा चुका था वह।

पर मड़ई और गुनरी अपने आप में सुंदर हैं। कौन बनाता होगा गुनरी? एक दो मुझे भी बनवानी हैं अगली सर्दियों के लिये।

कितनी साधारण जिंदगी है। कितने कम कार्बन फुटप्रिण्ट्स होंगे इस जिंदगी में?!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

3 thoughts on “गुनरी और मड़ई

  1. सुरेश पटेल, फेसबुक पेज पर –
    गांव में बहुत कोई जानता होगा गुनरी और मड़यी बनाने वाले बाउजी।

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  2. संजय मिश्र, फेसबुक पेज पर –
    ये किसान का असली आशियाना है श्रीमान,
    जितनी निश्चिंतता से उसे यहां नींद आती है उतनी मुख्य आशियाने में सम्भव ही नहीं 🙏

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  3. आलोक जोशी, ट्विटर पर –
    ये मड़ई साबित करती है कि जितना प्रकृति के नजदीक रहा जाए उतना ही मोहक होगा। बनावटी चीजें अल्पावधि के लिए आकर्षित करती है लेकिन अंततः उबाऊ हो जाती हैं।
    इस मड़ई का सम्बंध जरूर खेत से ही रहा होगा क्योंकि रात भर पहरा देने के उद्देश्य से इसमें सोने की व्यवस्था है।

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