लहसुन का फेरीवाला

दो ट्रेने पास होने वाली थीं लेवल क्रासिंग पर। हम दोनो पास पास खड़े थे अपनी अपनी साइकिल के साथ। मेरे पास टोकरी में दही और हेण्डल पर दूध का डोलू था। उसके कैरियर पर लहसुन की दो बोरियां, हैण्डल से लटके लहसुन के दो थैले और बीच के डण्डे पर लटके एक थैले में तराजू।

वह लहसुन की फेरीवाला था। साल भर (सिवाय सर्दी के तीन महीने) वह फेरी से लहसुन बेचने का ही काम करता है। सवेरे महराजगंज बाजार से थोक में खरीद कर गांव गांव गली गली बेचता है। टार्गेट होता है सारा सामान बेच लेना। कभी दो घण्टे में बिक जाता है और कभी पांच घण्टे भी लग जाते हैं।

हैण्डल से लटके लहसुन के दो थैले और बीच के डण्डे पर लटके एक थैले में तराजू।

क्या ग्राहक बंधे हैं? कैसे बेचते हो?

“गांव-गली आवाज लगा कर बेचूंगा। सामने क गांव में जाई क चोंकरब। जेके लई के होये, ऊ ले। (सामने के गांव में जा कर चिल्ला कर आवाज लगाऊंगा। जिसे लेना हो, लेगा।”

वह गली गली घर घर बेचता है। दुकान वाले ग्राहक नहीं हैं। बकौल उसके, उसके दाम से लोगों को फिर भी सस्ता पड़ता है। आज लहसुन सौ रुपये का दो किलो है। “अब त लोग खरिदबई करिहीं।” – उसकी भाषा में आशावाद है।

आज नवरात्रि की अष्टमी है। नवरात्रि में लोगों ने लहसुन प्याज कम लिया है। पर जैसे ही नौ दिन का पर्व खतम होगा, लोगों की रसोई में लहसुन की धमाकेदार एण्ट्री होगी। आज से ही लोग खरीदना चालू कर देंगे।

लहसुन के अलावा कोई और काम करते हो? कोई दुकान भी है महराजगंज में?

लहसुन का फेरीवाला

नहीं फेरी ही मेरा धंधा है। सवेरे काम करता हूं। दिन के बारह एक बजे तक। उसके बाद काम खतम। मुझे वह संतोषी जीव लगा। अपना बिजनेस बढ़ाने की जद्दोजहद का जज्बा लगा नहीं। फेरीवाला है और रहेगा। अगर मार्केट के डिसरप्शन उसका धंधा ही न बदल दें। मुझे नहीं लगता कि बिग बास्केट या अमेजन वाला हमारे गांव के चमरऊट, पसियान, बिन्दान या बभनान में ऑन डिमाण्ड लहसुन सप्लाई करने लगेगा!

फेरी वाले का धंधा था, है और रहेगा। नहीं?


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

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