#Status उपले ढंकने का उपक्रम

मई महीने की शुरुआत और सर्दी। बादल भरा आसमान और बारिश। नौकरानी काम पर आयी थी और उसने कल्पना भी न की थी कि बारिश तेज हो जायेगी। जाते समय घर में पड़ी एक पॉलीप्रॉपीलीन की बोरी ओढ़ कर गयी।

हर आदमी मौसम की गुगली से हक्काबक्का है।

भला हो कि रब्बी सीजन की सारी किसानी निपट चुकी है। लोगों ने (लगभग) भूसा भी समेट लिया है। मुझे लगा था कि इस समय किसान कम से कम काम धाम के लिये परेशान नहीं होगा। पर आज सवेरे की सैर में लगा कि मौसम में आश्चर्यजनक बदलाव से परेशानियाँ पीछा नहीं छोड़ रहीं।

उपले के उपड़ऊर पूरे रास्ते दिखते हैं। सवेरे उपले पाथती महिलायें भी नजर आती हैं। पर बारिश के मौसम में वह गतिविधि रुक जाती है। मानसून के पूरे दौरान तो गोबर इकठ्ठा ही किया जाता है। सितम्बर-अक्तूबर में मानसून चले जाने पर ही उपड़ऊर बनने लगता है।

उपला कल्चर

आज बारिश का मौसम था। कई दिन से चल रहा है। पर उपले के ढेर – उपड़ऊर बहुत हैं। आजकल स्त्रियों ने उपले पाथना बंद कर दिया है। उपड़ऊर बारिश के पानी से भीग कर खराब न हो जाये, उसके लिये तिरपाल, डण्ठल, कपड़ा – जो भी साधन मिला, उसका प्रयोग किया गया है।

साइकिल सैर के पूरे रास्ते उपले बचाने का उपक्रम नजर आया।

मौसम की जानकारी रोज दिखाती है कि थण्डरस्टॉर्म की सम्भावना है। दो दिन बाद मौसम खुलने की भविष्यवाणी रहती है पर अगले ही दिन वह भविष्यवाणी आगे सरक जाती है। आज भी सवेरे रिमझिम बारिश हुई।

उपलों के ढेर ढंके हुये हैं।

उपले पाथना रुक गया है। उपड़ऊर ढंकने के लिये उनपर तिरपाल बंधे दिखते

उपले बनाना और ईंधन के लिये उनका प्रयोग उज्वला योजना की सक्सेस-स्टोरी के बावजूद अभी भी व्यापक है। लोगों के पास गैस चूल्हे आ गये हैं; पर उनका प्रयोग आपात दशा में ही किया जाता है। भोजन अब भी उपले के प्रयोग से बनता है।

जब तक गोबर का वैसा उपयोग विकसित नहीं होगा जिससे खेतिहर किसान को महीने में एक-डेढ़ हजार की आमदनी हो, तब तक उपले बनते रहेंगे और उपड़ऊर को बारिश से बचाने संजोने का उपक्रम चलता रहेगा।

व्यापक और सुलभ प्रयोग का कोई वैज्ञानिक ब्रेक-थ्रू अभी आया नहीं है! उपला कल्चर अभी रहेगी! :-)

उपला कल्चर अभी रहेगी!

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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