थ्रेशिंग गतिविधियां देखना हमारे लिये कौतूहल शांत करने भर के लिये था। कृषक कार्य का समापन थ्रेशिंग से ही होता है। अनाज के दानों का जब ढेर लगता है तो जो तृप्ति कृषक को होती है वह अनुभव करने या देखने की ही चीज है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
थ्रेशिंग गतिविधियां देखना हमारे लिये कौतूहल शांत करने भर के लिये था। कृषक कार्य का समापन थ्रेशिंग से ही होता है। अनाज के दानों का जब ढेर लगता है तो जो तृप्ति कृषक को होती है वह अनुभव करने या देखने की ही चीज है।