सेमरी के आगे से बिक्रमगंज


प्रेमसागर आगे की यात्रा की बात कर रहे हैं। तबियत ठीक नहीं है। होली का मौसम है। लोग रास्ते भर हुड़दंग करने वाले होंगे ही। पर उनको तो चलना है। चरैवेति, चरैवेति!

बक्सर से सेमरी – सोन नहर


पूरे दिन मैं बक्सर की इस सोन नहर और प्रेमसागर के दिये इनपुट्स से चमत्कृत होता रहा। प्रेमसागर की इस यात्रा से न जुड़ा होता तो मुझे डेढ़ सौ साल पहले का यह सिंचाई इतिहास, जो आज भी सिंचाई के लिये प्रभावी है; पता ही नहीं चलता।

बारा से बक्सर


मीठे पानी की गांगेय डॉल्फिन बड़ी संख्या में हैं – यह सुन कर मुझे अपार हर्ष हुआ। … मैं डॉल्फिन को ले कर प्रसन्न था और प्रेमसागर चैन की सांस ले रहे थे – “अब करमनासा का झंझट खतम!”

Design a site like this with WordPress.com
Get started