डुप्लीकेट सामान बनाने का हुनर


बात शुरू हुई डुप्लीकेट दवाओं से। पश्चिम भारत से पूर्वांचल में आने पर डुप्लीकेट दवाओं का नाम ज्यादा सुना-पढ़ा है मैने। डुप्लीकेट दवाओं से बातचीत अन्य सामानों के डुप्लीकेट बनने पर चली। उसपर संजय कुमार जी ने रोचक विवरण दिया।संजय कुमार जी का परिचय मैं पहले दे चुका हूं – संजय कुमार, रागदरबारी और रेलContinue reading “डुप्लीकेट सामान बनाने का हुनर”

पीढ़ियों की सोच में अंतर


पिछले शनिवार को मैं लोकभारती प्रकाशन की सिविल लाइंस, इलाहाबाद की दुकान पर गया था। हिन्दी पुस्तकों का बड़ा जखीरा होता है वहां। बकौल मेरी पत्नी "मैं वहां 300 रुपये बर्बाद कर आया"। कुल 5 पुस्तकें लाया, औसत 60 रुपया प्रति पुस्तक। मेरे विचार से सस्ती और अच्छी पेपरबैक थीं। हिन्दी पुस्तकें अपेक्षाकृत सस्ती हैं।Continue reading “पीढ़ियों की सोच में अंतर”

कौन बर्बर नहीं है?


प्रत्येक सभ्यता किसी न किसी मुकाम पर जघन्य बर्बरता के सबूत देती है। प्रत्येक धर्म-जाति-सम्प्रदाय किसी न किसी समय पर वह कर गुजरता है जिसको भविष्य के उसके उत्तराधिकारी याद करते संकोच महसूस करते हैं। इस लिये जब कुछ लोग बर्बरता के लिये किसी अन्य वर्ग को लूलूहाते (उपहास करते) हैं – तो मुझे हंसीContinue reading “कौन बर्बर नहीं है?”

Design a site like this with WordPress.com
Get started