जीवन में सफलता और असफलता को लिपिबद्ध करने की सोच


असफलता कतरा कर नहीं जाती। आंख में झांकती है। प्वाइण्ट ब्लैंक कहती है – "मिस्टर जीडी, बैटर इम्प्रूव"! फटकार कस कर देती है। कस कर देने का मतलब अंग्रेजी में आत्मालाप। सिर झटकने, मेज पर मुक्का मारने, च-च्च करने में हिन्दी की बजाय अंग्रेजी के मैनेरिज्म ज्यादा प्रभावी हैं। असफलता उनका प्रयोग करती है। जबContinue reading “जीवन में सफलता और असफलता को लिपिबद्ध करने की सोच”

पत्ता खड़का – झारखण्ड बन्द


कल शाम मेरी मेज पर सन्देश आया – झारखण्ड बन्द के कारण पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय 11 मेल एक्स्प्रेस ट्रेनों के डायवर्शन (रास्त बदल) और एक ट्रेन को रात भर रोके रखने के लिये कह रहा है. नक्सली बन्द है. कोई झिक झिक नहीं. गाड़ियां रुकेंगी तो रुकेंगी, रास्ता बदल कर जायेंगी तो जायेंगी. यात्रीContinue reading “पत्ता खड़का – झारखण्ड बन्द”

दो चेतावनी देती पोस्टें


मैं पिछले दिनों पढ़ी दो पोस्टों का जिक्र करना चाहूंगा, जो मुझे रिमोर्स(remorse)-गियर में डाल गयीं. इनकी टिप्पणियों में मेरी उपस्थिति नहीं है. उससे मैं बहस का हिस्सा बनता. पर जो रिमोर्स की अनुभूति हो रही है – वह तो बहस हर्गिज नहीं चाहती. पहली पोस्ट महाशक्ति की है – क्या गांधी को राष्ट्रपिता काContinue reading “दो चेतावनी देती पोस्टें”

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