बोधिस्त्व को सपने आ रहे हैं. मुझे भी सिन्दबाद जहाजी का सपना आ रहा है. सिन्दबाद जहाजी की पांचवी यात्रा का सपना. वह चमकदार शैतानी आंखों वाला बूढ़ा मेरी पीठ पार सवार हो गया है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि उससे कैसे पीछा छुड़ाया जाये. मेरे अन्दर का जीव हर बार यात्रा पर निकलContinue reading “सिन्दबाद जहाजी और बूढ़ा”
Author Archives: Gyan Dutt Pandey
पवनसुत स्टेशनरी मार्ट
पवनसुत स्टेशनरी मार्ट एक गुमटी है जो मेरे घर से 100 कदम की दूरी पर है. इसमें पानमसाला, सिगरेट, गुटका, च्यूइंगम का भदेस संस्करण, चाय, “रोजगार” के पुराने अंक (और थोड़ी कॉपियां-कलम) बिकते हैं. गुमटी के साइड में कुछ बैंचें लगी हैं, जिनपर कुछ परमानेण्ट टाइप के बन्दे – जिन्हे भद्र भाषा में निठल्ले कहाContinue reading “पवनसुत स्टेशनरी मार्ट”
लिखना कितना असहज है!
ब्लॉग लेखन कितना असहज है. लेखन, सम्पादन और तत्पश्चात टिप्पणी (या उसका अभाव) झेलन सरल जीवन के खिलाफ़ कृत्य हैं. आपका पता नहीं, मैं तनाव महसूस करता हूं. विशेषकर चिकाई लेखन (इस शब्द को मैने शब्दकोष और समान्तर कोश में तलाशने का प्रयास किया, असफ़लता हाथ लगी. अत: अनुमान के आधार पर इसका प्रयोग करContinue reading “लिखना कितना असहज है!”
