पारस पत्थर साइकॉलॉजिकल कन्सेप्ट है; फिजिकल कन्सेप्ट नही। आप किसी भी क्षेत्र में लें – ब्लॉगरी में ही ले लें। कई पारस पत्थर मिलेंगे। माटी में दबे या पटखनी खाये! मै तिलस्म और विज्ञान के मध्य झूलता हूं। एटॉमिक संरचना की मानी जाये तो कोई ऐसा पारस पत्थर नहीं होता है जो लोहे को सोनाContinue reading “पारस पत्थर”
Category Archives: आत्मविकास
एक आत्मा के स्तर पर आरोहण
पर जो भी मेहरारू दिखी, जेडगुडीय दिखी। आदमी सब हैरान परेशानश्च ही दिखे। लिहाजा जो दीखता है – वह वही होता है जिसमें मन भटकता है। आत्मा कहीं दीखती नहीं। आत्मा के स्तर पर आरोहण सब के बस की बात नहीं। जैसे “युधिष्ठिर+५+कुकुर” चढ़े थे हिमालय पर और पंहुचे केवल फर्स्ट और लास्ट थे; वैसेContinue reading “एक आत्मा के स्तर पर आरोहण”
बगुला और ऊंट
वह बगुला अकेला था। झुण्ड में नहीं। दूर दूर तक और कोई बगुला नहीं था। इस प्रकार का अकेला जीव मुझे जोनाथन लिविंगस्टन सीगल लगता है। मुझे लगा कि मेरा कैमरा उसकी फोटो नहीं ले पायेगा। पर शायद कुछ सीगलीयता मेरे कैमरे में भी आ गयी थी। उसकी फोटो उतर आई। बगुला मुझे ध्यान कीContinue reading “बगुला और ऊंट”
