आइये अपने मुखौटे भंजित करें हम!


मुखौटा माने फसाड (facade – एक नकली या बनावटी पक्ष या प्रभाव)। लोगों के समक्ष हम सज्जन लगना चाहते हैं। मन में कायरता के भाव होने पर भी हम अपने को शेर दिखाते हैं। अज्ञ या अल्पज्ञ होने के बावजूद भी अपने को सर्वज्ञाता प्रदर्शित करने का स्वांग रचते हैं। यह जो भी हम अपनेContinue reading “आइये अपने मुखौटे भंजित करें हम!”

दुर्योधन इस युग में आया तो विजयी होगा क्या?


शिवकुमार मिश्र की नयी दुर्योधन की डायरी वाली पोस्ट कल से परेशान कर रही है। और बहुत से टिप्पणी करने वालों ने वही प्रतिध्वनित भी किया है। दुर्योधन वर्तमान युग के हिसाब से घटनाओं का जो विश्लेषण कर रहा है और जो रिस्पॉन्स की सम्भावनायें प्रस्तुत कर रहा है – उसके अनुसार पाण्डव कूटनीति मेंContinue reading “दुर्योधन इस युग में आया तो विजयी होगा क्या?”

तराबी की प्रार्थना और मेरी अनभिज्ञता


रमज़ान के शुरू होने वाले दिन मेरा ड्राइवर अशरफ मुझसे इजाजत मांगने लगा कि वह तराबी की प्रार्थना में शरीक होना चाहता है। शाम चार बजे से जाना चाहता था वह – इफ्तार की नमाज के बाद तराबी प्रारम्भ होने जा रही थी और रात के दस बजे तक चलती। मुझे नहीं मालुम था तराबीContinue reading “तराबी की प्रार्थना और मेरी अनभिज्ञता”

Design a site like this with WordPress.com
Get started