श्री जी विश्वनाथ ब्लॉगिंग की सामाजिक ताकत का पूरे ब्लॉस्ट पर अन्दाज मुझे शनिवार को हुआ। और क्या गज़ब का अन्दाज था! शनिवार की पोस्ट में मैने श्री जी विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु को धन्यवादात्मक फुटनोट लिखा था – उनकी टिप्पणियों से प्रभावित हो कर। उसमें यह लिखा था कि जब वे ४ सालContinue reading “अहिन्दी भाषी श्री जी. विश्वनाथ का परिचय और अतिथि पोस्ट”
Category Archives: आत्मविकास
रविरतलामी से सिनर्जी – "आत्मोन्नति" का गैजेट
मैने डेली एसेंशियल थॉट के विजेट पर एक पोस्ट लिखी थी। मुझे अंदेशा था कि कोई हिन्दी के उत्साही सज्जन यह जरूर कहेंगे कि यह क्या अंग्रेजी में कोटेशन ठेलने की विजेट बनाते हो और उसे अपने हिन्दी ब्लॉग पर प्रचारित करते हो?! और यह कहने वाले निकले श्री रविशंकर श्रीवास्तव (रविरतलामी)। यही वे सज्जनContinue reading “रविरतलामी से सिनर्जी – "आत्मोन्नति" का गैजेट”
भोर का सपना
स्वप्न कभी कभी एक नये वैचारिक विमा (डायमेंशन) के दर्शन करा देते हैं हमें। और भोर के सपने महत्वपूर्ण इस लिये होते हैं कि उनका प्रभाव जागने पर भी बना रहता है। उनपर जाग्रत अवस्था में सोचना कभी कभी हमें एक नया मकसद प्रदान करता है। शायद इसी लिये कहते हैं कि भोर का सपनाContinue reading “भोर का सपना”
