उमाकांत जी से 2-3 मिनट की बातचीत मुझे भीषण डिस्टोपियन भाव से ग्रस्त कर देती है। आम आदमी का कोई धरणी-धोरी नहीं है। सरकारें आती-जाती हैं। शिलिर शिलिर परिवर्तन होते हैं। रामराज्य कभी आयेगा? शायद नहीं…
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शूट पहले, एडिट बाद में
उस मैले कुचैले, विक्षिप्त से लगते आदमी का चित्र लेते समय मैं रोशनी की दशा, फोकस, रूल ऑफ थर्ड … किसी पर ध्यान नहीं देता। ध्यान केवल चित्र शूटने पर रहता है। Shoot first, Edit later. शूटो पहले, एडिटो बाद में।
#Status उपले ढंकने का उपक्रम
बारिश का मौसम कई दिन से चल रहा है।
आजकल स्त्रियों ने उपले पाथना बंद कर दिया है। उपड़ऊर बारिश के पानी से भीग कर खराब न हो जाये, उसके लिये तिरपाल, डण्ठल, कपड़ा – जो भी साधन मिला, उसका प्रयोग किया गया है।
