राजकमल, लोकभारती और पुस्तक व्यवसाय


सतहत्तर वर्षीय दिनेश ग्रोवर जी सतहत्तर वर्षीय दिनेश ग्रोवर जी (लोकभारती, इलाहाबाद के मालिक) बहुत जीवंत व्यक्ति हैं। उनसे मिल कर मन प्रसन्न हो गया। व्यवसाय में लगे ज्यादातर लोगों से मेरी आवृति ट्यून नहीं होती। सामान्यत वैसे लोग आपसे दुनियाँ जहान की बात करते हैं, पर जब उनके अपने व्यवसाय की बात आती हैContinue reading “राजकमल, लोकभारती और पुस्तक व्यवसाय”

बम्बई जाओ भाई, गुजरात जाओ


मेरी सरकारी कार कॉण्ट्रेक्ट पर है। ठेकेदार ने ड्राइवर रखे हैं और अपनी गाड़ियाँ चलवाता है। ड्राइवर अच्छा है। पर उसे कुल मिलते हैं 2500 रुपये महीना। रामबिलास रिक्शेवाला भी लगभग इतना ही कमाता है। मेरे घर में दिवाली के पहले पुताई करने वाले आये थे। उन्हें हमने 120 रुपया रोज मजूरी दी। उनको रोजContinue reading “बम्बई जाओ भाई, गुजरात जाओ”

चिन्दियाँ बीनने वाला


वैसे तो हम सभी चिन्दियाँ बीनने वाले हैं – विजुअल रैगपिकर (visual rag picker)। किसी भी दृष्य को समग्रता से ग्रहण और आत्मसात नहीं करते। उतना ही ग्रहण करते हैं जितने से काम चल जाये। बार-बार देखने पर भी किसी विषय के सभी पक्षों को देखते-परखते नहीं। हमारा एकाग्रता का समय और काल इतना छोटाContinue reading “चिन्दियाँ बीनने वाला”

Design a site like this with WordPress.com
Get started