पर्यावरण के मुद्दे ॥ नीलगाय अभी भी है शहर में


टेराग्रीन (Terragreen) पत्रिका का नया अंक » इस वर्ष इण्टरगवर्नमेण्टल पेनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) और अल-गोर को संयुक्त रूप से नोबल शांति पुरस्कार दिये जाने के कारण पर्यावरण का मुद्दा लाइमलाइट में आ गया है।  कल मैने टेराग्रीन (Terragreen) नामक मैगजीन का एक अंक ४० रुपये खर्च कर खरीद लिया। यह पत्रिका श्री आर.केContinue reading “पर्यावरण के मुद्दे ॥ नीलगाय अभी भी है शहर में”

बथुआ – सर्दियों की स्वास्थ्यवर्धक वनस्पति


यह पंकज अवधिया जी की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है। यह पोस्ट शीतकालीन स्वास्थ्य के लिये शीतकालीन वनस्पति के प्रयोग से सम्बन्धित है। आप पोस्ट पढ़ें: प्रश्न: मै साल भर स्वास्थ्य की अच्छे से देखभाल करता हूँ फिर भी सर्दियों मे बीमार पड जाता हूँ। पूरे मौसम कुछ न कुछ होता ही रहता है। बचपन मेContinue reading “बथुआ – सर्दियों की स्वास्थ्यवर्धक वनस्पति”

विषय केन्द्रित ब्लॉग और डाक्टरी का दृष्टान्त


शास्त्री जे सी फिलिप आजकल विषयकेन्द्रित ब्लॉग्स की बहस चला रहे हैं। मुझे भी लगता है कि भविष्य स्पेशलाइज्ड ब्लॉग्स का है है। हमारी मानसिक हलचल को बीटा-थीटा-गामा-जीटा वेव्स के रूप में मनोवैज्ञानिकों द्वारा विष्लेशित अगर अभी नहीं किया जा रहा होगा तो जल्दी ही किया जाने लगेगा। इसके स्पेक्ट्रम से ही स्पेशलाइज्ड ब्लॉग्स जन्मContinue reading “विषय केन्द्रित ब्लॉग और डाक्टरी का दृष्टान्त”

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