परसों 21 फरवरी को मैं गोण्डा-लखनऊ खण्ड में निरीक्षण के लिये बने दल में बतौर परिचालन विभाग के विभागाध्यक्ष, शामिल था। इस क्षेत्र से परिचय का मेरा पहला मौका। श्री के के अटल, महाप्रबन्धक, पूर्वोत्तर रेलवे ने दस दिन पहले मुझसे कहा था कि 20 तारीख तक पूर्वोत्तर रेलवे पर अपना पदभार संभाल लूं, जिससेContinue reading “रेल इंस्पेक्शन स्पेशल”
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क्या कहूं?
प्रियंकर कहते हैं, मैं कवि हृदय हूं; भले ही कितना अपने आप को छिपाने का प्रयास करूं। मैं सहमत होने का जोखिम नहीं लूंगा। ढेर सारे कवियों की कवितायें सुनने और उन्हे एप्रीशियेट करने का बर्डन उसमें निहित है। दूसरे यह निश्चित है कि वे समझ में नहीं आतीं। प्लेन/सिंपल सेण्टिमेण्टालिटी समझ में आती है।Continue reading “क्या कहूं?”
