मोर्गन हाउसेल ने अपनी किताब The Art of Spending Money में एक प्रसंग लिखा है — फ्रेंच लेखक मार्सेल प्राउस्ट (1871-1922) ने एक युवक को; जो अपनी विपन्नता से दुखी रहा करता था; सलाह दी थी कि वह महलों और विलासिता की वस्तुओं से ईर्ष्या करने के बजाय चित्रकार जीन सिमोन चार्दें की कलाओं कोContinue reading “एक अलग सोच से यात्रा की जरूरत”
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आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा — दिन 3
आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा — दिन 3 : तहरी, त्रिपुंडी और चितलंगिया का दालान नीलकंठ की ई-मेल समय पर थी। छ बजे सवेरे। वह ज्यों का त्यौं नीचे है – सवेरे नींद एकदम समय पर टूटी — चार बजे। यह अजीब है कि बाहर खुले में नींद पहले से बेहतर आती है। मन भी हल्का थाContinue reading “आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा — दिन 3”
आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा की प्रस्तावना
नीलकंठ और सुदामा की पहली बैठक (डिंडौरी से बरगी तक की यात्रा की भूमिका) प्रेमसागर ने डिंडौरी से पैदल चलकर चाबी गाँव में जब नर्मदा परिक्रमा को खंड-विराम दिया, तब वे सड़क मार्ग से ही चल रहे थे। डिंडौरी और जबलपुर के बीच, नर्मदा के उत्तर या दक्षिण तट की पदयात्रा अधिकांश यात्री सड़क केContinue reading “आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा की प्रस्तावना”
