विक्तोर फ्रेंकल का साथी कैदियों को सम्बोधन – 2.


अपनी पुस्तक – MAN’S SEARCH FOR MEANING में विक्तोर फ्रेंकलसामुहिक साइकोथेरेपी की एक स्थिति का वर्णन करते हैं। यह उन्होने साथी 2500 नास्त्सी कंसंट्रेशन कैम्प के कैदियों को सम्बोधन में किया है। मैने पुस्तक के उस अंश के दो भाग कर उसके पहले भाग का अनुवाद कल प्रस्तुत किया था। (आप कड़ी के लिये मेरीContinue reading “विक्तोर फ्रेंकल का साथी कैदियों को सम्बोधन – 2.”

विक्तोर फ्रेंकल का साथी कैदियों को सम्बोधन – 1.


अपनी पुस्तक – MAN’S SEARCH FOR MEANING में विक्तोर फ्रेंकलसामुहिक साइकोथेरेपी की एक स्थिति का वर्णन करते हैं। यह उन्होने साथी 2500 नास्त्सी कंसंट्रेशन कैम्प के कैदियों को सम्बोधन में किया है। मैं पुस्तक के उस अंश के दो भाग कर उसका अनुवाद दो दिन में आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हूं। (आप कड़ीContinue reading “विक्तोर फ्रेंकल का साथी कैदियों को सम्बोधन – 1.”

अपने अपने इन्द्रप्रस्थ


जिप्सियाना स्वभाव को ले कर जब मैने पोस्ट  लिखी तो बरबस पॉउलो कोएल्हो की पुस्तक द अलकेमिस्ट की याद हो आयी। (अगर आपने पुस्तक न पढ़ी हो तो लिंक से अंग्रेजी में पुस्तक सार पढ़ें।) उसका भी नायक गड़रिया है। घुमन्तु। अपने स्वप्न को खोजता हुआ मिश्र के पिरामिड तक की यात्रा करता है। वहContinue reading “अपने अपने इन्द्रप्रस्थ”

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