वह मुस्कराती मुसहर बच्ची


चुनार के प्लेटफार्म पर दिखी वह। जमीन पर बैठी थी और मुझे देख रही थी। मैं उसे देख मुस्कराया तो वह भी मुस्करायी। क्या निश्छल बच्ची की मुस्कान थी। रंग उसका ताम्बे का था – वह ताम्बा, जिसे अर्से से मांजा न गया हो। चार से छ साल के बीच उम्र रही होगी उसकी। पासContinue reading “वह मुस्कराती मुसहर बच्ची”

लकड़ी


इलाहाबाद स्टेशन पर मैं कई बार स्त्रियों को देखता हूं – लकड़ी के बण्डल उठाये चलते हुये। मुझे लगता था कि ये किसी छोटे स्टेशन से जंगली लकड़ी बीन कर लाती हैं इलाहाबाद में बेचने। आज सवेरे भी एक महिला फुट ओवर ब्रिज पर लकड़ी का बण्डल सिर पर रखे जाती हुई दिखी। उस महिलाContinue reading “लकड़ी”

द्रौपदी आज रिटायर हुई


दो साल पहले मैने दो पोस्टें लिखी थीं – दफ्तर की एक चपरासी द्रौपदी पर – १. बुढ़िया चपरासी और २. बुढ़िया चपरासी – द्रौपदी और मेरी आजी। उसे सन १९८६ में अपने पति के देहावसान के बाद अनुकम्पा के आधार पर नौकरी मिली थी पानी वाली में। लम्बे समय तक वह हाथरस किला स्टेशन पर काम करती थी। इसContinue reading “द्रौपदी आज रिटायर हुई”

Design a site like this with WordPress.com
Get started