आत्मना-अतुष्ट


कभी कभी लगता है ब्लॉग बन्द करने का समय आ गया। इस लिये नहीं कि पाठक नहीं हैं। पाठक की अनिवार्यता को ब्लॉग ले कर चलता है और उसे बढ़ाने के निश्चित टोटके हैं। वह टोटके पालन करता रहा हूं, यह शायद अर्ध सत्य होगा; पर उन टोटकों की पहचान जरूर है। लिहाजा, पाठक कीContinue reading “आत्मना-अतुष्ट”

कुछ बेतरतीब विचार


1. भुल्लर यादव की पतोहू गाय की नांद में कबार डालती जा रही थी और कान से सटाये मोबाइल से बतियाये भी जा रही थी। अच्छा लगा। भुल्लर यादव की पतोहू का पति एक सड़क दुर्घटना में पर साल चला गया था। जिन्दगी जीने का अपना रास्ता खोज लेती है। 2. वह बुढ़िया पगलोट है।Continue reading “कुछ बेतरतीब विचार”

नया कुकुर : री-विजिट


फरवरी 2009 में एक पोस्ट थी, नया कुकुर । भरतलाल एक पिल्ले को गांव से लाया था और पुराने गोलू की कमी भरने को पाल लिया था हमने। उसका भी नाम हमने रखा गोलू – गोलू पांड़े। उसके बाद वह बहुत हिला मिला नहीं घर के वातावरण में। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की कबीर उसने आत्मसातContinue reading “नया कुकुर : री-विजिट”

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