रामकृष्ण परमहंस के पैराबल्स (parables – दृष्टान्त) में एक प्रसंग है। एक नारी अपने पति से कहती है – “उसका भाई बहुत बड़ा साधक है। वर्षों से वैराग्य लेने की साधना कर रहा है।” पति कहता है – “उसकी साधना व्यर्थ है। वैरग्य वैसे नहीं लिया जाता।” पत्नी को अपने भाई के विषय में इसContinue reading “वैराग्य को कौन ट्रिगर करता है?”
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एक पोस्ट अस्पताल के वार्ड से
कल शाम मेरी माताजी अचानक बीमार हो गयीं। रक्त वाहिनी में थक्का जम जाने से पैर में सूजन और असहनीय दर्द के चलते उन्हें अस्पताल में ले आये। प्राथमिक आपात चिकित्सा से मामला ठीक है। कल परसों तक कुछ परीक्षण होंगे और फिर अस्पताल से छुट्टी। यह दो बार पहले भी हो चुका है। जैसेContinue reading “एक पोस्ट अस्पताल के वार्ड से”
स्किट्जो़फ्रेनिया के ध्रुव
हिन्दी ब्लॉगरी और काफी सीमा तक भारतीय समाज में संकुचित सोच के दो ध्रुव नजर आते हैं। एक ध्रुव यह मानता है कि सेन्सेक्स उछाल पर है। भारत का कॉर्पोरेट विकास हो रहा है। भारत विश्व शक्ति बन रहा है। देश को कोई प्रगति से रोक नहीं सकता। दूसरा ध्रुव जो ज्यादा सिनिकल है, मानताContinue reading “स्किट्जो़फ्रेनिया के ध्रुव”
