प्रभुजी, मोहे भुनगा न करो!


प्रभुजी, इत्ती योनियां पार करा कर मानुष तन दियो। प्रभुजी, अब मोहे भुनगा@ न करो! प्रभुजी मोहे प्राइम-मिनिस्टर न बनायो, सांसदी/बिधायकी भी न दिलवायो, नोबल प्राइज क्या, जिल्ला स्तर का शाल-श्रीफल-सवा रुपया न मिल्यो। पर प्रभुजी, मोहे रोल-बैक फ्राम विकासवाद; अब भुनगा न करो! प्रभुजी, कहो तो पोस्ट ठेलन बन्द करूं। कहो तो सेलिब्रिटी कीContinue reading “प्रभुजी, मोहे भुनगा न करो!”

वेब २.० (Web 2.0) और रेल महकमा


वेब २.० के प्रतीक मैं अपने ब्लॉग को ले कर रेलवे सर्किल में जिज्ञासाहीनता से पहले कुछ निराश था, अब उदासीन हूं। लगता है रेलवे का जीव अभी भी कम्प्यूटर और इण्टरनेट के प्रयोग में एक पीढ़ी पहले चल रहा है। प्रबन्धन के स्तर पर तो वेब २.० (Web 2.0) की तकनीक का प्रयोग सोचाContinue reading “वेब २.० (Web 2.0) और रेल महकमा”

ब्लॉग पोस्ट प्रमुख है, शेष गौण


मेरी रेलगाडी का इंजन गायब है। मेरे ब्लॉग पर ऊपर आने वाला स्क्रॉल मैसेज (कि आपका स्वागत है) भी निकाल दिया है। “अटको मत चलते रहो” वाले फ्लिंस्टन जी भी अब नहीं हैं। मेरा ब्लॉगरोल भी अब ऊर्ध्व-स्क्रॉल नहीं होता। ब्लॉग अब सीधे पोस्ट पर ले जाने का यत्न करता है। यह सब फ्रिल्स मैनेContinue reading “ब्लॉग पोस्ट प्रमुख है, शेष गौण”

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