भीष्म का अभिशाप यह था कि उन्होने जिस कलह से कुल को बचाने के लिये अपने सुखों की बलि देते हुये भीष्म प्रतिज्ञा ली, उसी कुल के संहार महाभारत के प्रथम सेनानायक बने। जिस कुल की कलह कम करने के लिये अपना मुँह नहीं खोले, उसी कुल का पूर्ण विनाश युद्धक्षेत्र में लेटे हुये देखे।Continue reading “भीष्म उठ निर्णय सुनाओ”
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पिज्जा, खिलौना, विकल्प और मानव जीवन
यह प्रवीण पाण्डेय की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है। एक सामान्य घरेलू स्थिति से दर्शन में कैसे उतरा जाता है, वह प्रवीण से सीखने योग्य है: बच्चों की परीक्षायें समाप्त हुयीं और घर के वातावरण का उत्सवीकरण हो गया। अब युद्धक्षेत्र से लौटे विजयी (लगता तो है) योद्धाओं को उपहार चाहिये। निश्चय हुआ कि पहले वसुधैवContinue reading “पिज्जा, खिलौना, विकल्प और मानव जीवन”
जीवन की त्रासदी क्या है?
मेरे जीवन की त्रासदी यह नहीं है कि मैं बेइमान या कुटिल हूं। मेरी त्रासदी यह भी नहीं है कि मैं जानबूझ कर आसुरी सम्पद अपने में विकसित करना चाहता हूं। मेरी त्रासदी यह है कि मैं सही आचार-विचार-व्यवहार जानता हूं, पर फिर भी वह सब नहीं करता जो करना चाहिये। मुझे मालुम है किContinue reading “जीवन की त्रासदी क्या है?”
