भला हो दिलीप थानकी जी का जो पोरबंदर से प्रेमसागर की अगवानी करने के लिये आये और उनको स्थान दिखाये, भोजन आदि कराया; वर्ना सोमनाथ वालों ने तो घोर उपेक्षा ही की।… बाबा महादेव; मैं तो सोमनाथ जाने के पहले खूब सोचूंगा…
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प्रभास तीर्थ (सोमनाथ) में एक दिन
देवी अहिल्याबाई तो दिव्य महिला थीं। उनके नाम से वाराणसी, उज्जैन और सोमनाथ के ज्योतिर्लिंगों के पुनरुद्धार का वर्णन मिलता है। उन्हें तो हिंदू जागरण का मुकुट मानना चाहिये।
रैवतक-गिरनार के बगल से गुजरे प्रेमसागर
प्रेमसागर 7 दिसम्बर को जूनागढ़ पंहुचे। … यहीं बगल में पूर्व की ओर गिरनार या रैवतक पर्वत है। जिसे देवताओं का निवास माना गया है। इस पर्वत का कई बार उल्लेख महाभारत और हरिवंश पुराण में होता है।
