खोपड़ी की कथा


किसी ने कछार में खेत की बाड़ बनाने में एक खोपड़ी लगा दी है। आदमजात खोपड़ी। समूची। लगता है, जिसकी है, उसका विधिवत दाह संस्कार नहीं हुआ है। कपाल क्रिया नहीं हुई। कपाल पर भंजन का कोई चिन्ह नहीं। भयभीत करती है वह। भयोत्पादान के लिए ही प्रयोग किया गया है उसका। कछार में घूमतेContinue reading “खोपड़ी की कथा”

एक शाम की रपट


आज शाम जल्दी घर लौटना हो गया। यह साल में एक या दो ही दिन होता है। मैने अपना बेटन लिया और गंगा किनारे चल दिया। चाहता था कि धुंधलका होने से पहले गंगा जी तक पंहुच जाऊं तो जल्दी में कैमरा लेना भी भूल गया। पर जेब में मोबाइल फोन था, कामचलाऊ चित्र खींचनेContinue reading “एक शाम की रपट”

सरपत की बाड़


सर्दी एकबारगी कम हो कर पल्टा मार गयी। शुक्र-सनीचर को सब ओर बारिश हुई। कहीं कहीं ओले भी पड़े। ट्विटर पर रघुनाथ जी ट्वीट कर रहे थे कि दिल्ली में ओले भी पड़े। बनारस से अद्दू नाना ने फोन पर बताया कि देसी मटर पर पाला पड़ गया है। ओले पड़े थे, उसके बाद फसलContinue reading “सरपत की बाड़”

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