कछार में घूमते पीछे से नमस्कार की आवाज आयी तो देखा कल्लू था। अपने सफेद छोटी साइज वाले कुत्ते के साथ चला आ रहा था। वह शायद मुझे अपने परिवेश से बाहर का ऐसा व्यक्ति मानता है, जिसको अपनी गतिविधियां बेलाग तरीके से बता सकता है। आज भी वह इसी मूड में दिख रहा था।Continue reading “कल्लू की प्लानिंग”
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बरसात का उत्तरार्ध
कल शाम गंगाजी के किनारे गया था। एक स्त्री घाट से प्लास्टिक की बोतल में पानी भर कर वापस लौटने वाली थी। उसने किनारे पर एक दीपक जलाया था। साथ में दो अगरबत्तियां भी। अगरबत्तियां अच्छी थीं, और काफी सुगंध आ रही थी उनसे। सूरज डूब चुके थे। घाट पर हवा से उठने वाली लहरेंContinue reading “बरसात का उत्तरार्ध”
ममफोर्डगंज के अफसर
एक हाथ में मोबाइल, दूसरे हाथ में बेटन। जींस की पैण्ट। ऊपर कुरता। अधपके बाल। यह आदमी मैं ही था, जो पत्नीजी के साथ गंगा किनारे जा रहा था। श्रावण शुक्लपक्ष अष्टमी का दिन। इस दिन शिवकुटी में मेला लगता है। मेलहरू सवेरे से आने लगते हैं पर मेला गरमाता संझा को ही है। मैंContinue reading “ममफोर्डगंज के अफसर”
