>>> बरियापुर और नीलकंठ की रचना क्यों? <<< बहुत से लेखकों ने अपनी रचनाधर्मिता के लिये पात्र और स्थान रचे हैं। आर के नारायण ने मालगुड़ी की रचना की। मालगुड़ी बंगलोर के दो स्थानों मल्लेश्वरम और बसवानगुड़ी का फ्यूज़न है। मालगुड़ी बनाया और साथ में ढेरों पात्र आये। उन सब के माध्यम से आर केContinue reading “बरियापुर और नीलकंठ की रचना क्यों?”
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आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा — दिन 3
आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा — दिन 3 : तहरी, त्रिपुंडी और चितलंगिया का दालान नीलकंठ की ई-मेल समय पर थी। छ बजे सवेरे। वह ज्यों का त्यौं नीचे है – सवेरे नींद एकदम समय पर टूटी — चार बजे। यह अजीब है कि बाहर खुले में नींद पहले से बेहतर आती है। मन भी हल्का थाContinue reading “आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा — दिन 3”
वनतुलसी की गंध, बांस का पुल, बघेरे की आहट और गेंहुअन का भय
नीलकंठ की आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा दिन 2 सवेरे आंख खुली तो सब कुछ चुप था। रात की जद्दोदहद याद आई। रात में बांई ओर नर्मदा की धारा थी, और दाहिने – मच्छरों का मोर्चा। टॉर्च की रौशनी में ओडोमॉस की ट्यूब निकाल मैने उसे सारे खुले अंगों पर मला था। तब जब मच्छरों ने युद्धविरामContinue reading “वनतुलसी की गंध, बांस का पुल, बघेरे की आहट और गेंहुअन का भय”
