सदियों से कागज, सभ्यताओं के विकास का वाहक बना हुआ है । विचारों के आदान-प्रदान में व सूचनाओं के संवहन में कागज एक सशक्त माध्यम रहा है। समाचार पत्र, पुस्तकें, पत्रिकायें और ग्रन्थ किसी भी सभ्य समाज के आभूषण समझे जाते हैं। यही कारण है कि किसी देश में प्रति व्यक्ति कागज का उपयोग उसContinue reading “सैंतीस वयस्क वृक्षों की व्यथा”
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प्रवीण – जुते हुये बैल से रूपान्तरण
पिछली पोस्ट पर प्रशान्त प्रियदर्शी और अन्तर सोहिल ने प्रवीण पाण्डेय की प्रतिक्रिया की अपेक्षा की थी। प्रवीण का पत्र मेरी पत्नीजी के नाम संलग्न है: आदरणीया भाभीजी, पहले आपके प्रश्न का उत्तर और उसके बाद ही ट्रैफिक सर्विस की टीस व्यक्त करूँगा। 8 वर्ष के परिचालन प्रबन्धक के कार्यकाल में मेरी स्थिति, श्रीमती जीContinue reading “प्रवीण – जुते हुये बैल से रूपान्तरण”
बच्चों को पढ़ाना – एक घरेलू टिप्पणी
मेरी पत्नीजी (रीता पाण्डेय) की प्रवीण पाण्डेय की पिछली पोस्ट पर यह टिप्पणी प्रवीण पर कम, मुझ पर कहीं गम्भीर प्रहार है। प्रवीण ने बच्चों को पढ़ाने का दायित्व स्वीकार कर और उसका सफलता पूर्वक निर्वहन कर मुझे निशाने पर ला दिया है। समस्या यह है कि मेरे ऊपर इस टिप्पणी को टाइप कर पोस्टContinue reading “बच्चों को पढ़ाना – एक घरेलू टिप्पणी”
