कल प्रेमसागर जी के दो कांवर मित्र – भुचैनी पांड़े और अमरेंद्र पांड़े 10-11 बजे तक अमरकण्टक पंहुचेंगे। वे अपनी कांवर साथ ले कर आ रहे हैं। प्रेमसागर की कांवर कारपेण्टर जी से बनवा रहे हैं रेस्ट हाउस के वर्मा जी। परसों ये लोग नर्मदा उद्गम स्थल से जल उठा कर रवाना होंगे ॐकारेश्वर के लिये। प्रेम-भुचैनी-अमरेंद्र की तिगड़ी नये नये अनुभव करायेगी ब्लॉग पर।
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अमरकण्टक – नर्मदा और सोन की कथाओं का जाल
पितृसत्तात्मक समाज नारी (अर्थात नर्मदा) की महत्ता यूंही स्वीकार नहीं करता। पहले वह उसे लांछित या उपेक्षित करता है, पर अगर फिर भी नारी अपनी श्रेष्ठता प्रमाणित कर देती है, तो वह उसे देवी का दर्जा देकर पूजनीय बना देता है।
विघ्नों बाधाओं को लांघते अमरकण्टक पंहुच ही गये प्रेमसागर
रास्ते में जगह जगह बड़े पेड़ टूट कर रास्ता पूरी तरह बंद कर पड़े थे। प्रेमसागर जी ने उन्हें चढ़ कर और लांघ कर पार करने का यत्न किया। आगे बढ़े पर एक जगह काले मुंह वाले बहुत से बंदर सामने आ गये। वे खतरनाक लग रहे थे।
