परमेश्वर


सवेरे साढ़े छ बजे जब मैं घूमने निकला तो वह मुझसे आगे चल रहा था। घुटने तक धोती, मटमैला/सफेद कुरता – गेरुआ नहीं, एक काली जाकेट, बदन पर ओढा चादर जो सिर पर भी ढंकने का काम कर रहा था, बायीं पीठपर बोरा नुमा झोला और पानी का एक बरतन और दायें हाथ में एकContinue reading “परमेश्वर”

रेल इंस्पेक्शन स्पेशल


परसों 21 फरवरी को मैं गोण्डा-लखनऊ खण्ड में निरीक्षण के लिये बने दल में बतौर परिचालन विभाग के विभागाध्यक्ष, शामिल था। इस क्षेत्र से परिचय का मेरा पहला मौका। श्री के के अटल, महाप्रबन्धक, पूर्वोत्तर रेलवे ने दस दिन पहले मुझसे कहा था कि 20 तारीख तक पूर्वोत्तर रेलवे पर अपना पदभार संभाल लूं, जिससेContinue reading “रेल इंस्पेक्शन स्पेशल”

गोरखपुर को प्रस्थान?


सन 2003 के अक्तूबर से लगभग पौने दो साल मैने गोरखपुर में गुजारा था। वहां की कुछ स्मृतियां हैं। रेलवे कालोनी, मोहद्दीपुर में रहते थे हम लोग। घर में लीची और आम के वृक्ष थे। बहुत ज्यादा नहीं घूमा मैं गोरखपुर में और जितना घूमा, उससे कम स्मृतियों में संजोया। एक बार पुन: पूर्वोत्तर उत्तरप्रदेशContinue reading “गोरखपुर को प्रस्थान?”

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