ये सभी सही पात्र हैं, जीवनी लेखन के। इनके माध्यम से आधुनिक समय में ताराशंकर बंद्योपाध्याय के गणदेवता या मुन्शी प्रेमचंद के कई उपन्यासों का सीक्वेल बन सकता है। पर वह सब करने के लिये मुझे जीवनी विधा का बारीकी से अध्ययन करना चाहिये।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून से गांव की पगडंडी की साइकिल पर उतरना रोचक है! 😊
ये सभी सही पात्र हैं, जीवनी लेखन के। इनके माध्यम से आधुनिक समय में ताराशंकर बंद्योपाध्याय के गणदेवता या मुन्शी प्रेमचंद के कई उपन्यासों का सीक्वेल बन सकता है। पर वह सब करने के लिये मुझे जीवनी विधा का बारीकी से अध्ययन करना चाहिये।