दसमा दोमंजिले मकान में साफसफाई के लिये नीचे-ऊपर सतत दौड़ती रहती थी। मेरी बड़ी मां को वह एक अच्छी सहायिका मिल गयी थी। लीक से हट कर काम कराने के लिये बड़ी मां उसे दो रुपया और ज्यादा गुड़ देती थीं।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
दसमा दोमंजिले मकान में साफसफाई के लिये नीचे-ऊपर सतत दौड़ती रहती थी। मेरी बड़ी मां को वह एक अच्छी सहायिका मिल गयी थी। लीक से हट कर काम कराने के लिये बड़ी मां उसे दो रुपया और ज्यादा गुड़ देती थीं।