लोग बद्री-केदार-गया की यात्रा पर निकलते हैं तो लोग गाजे-बाजे के साथ उनका जयकारा लगा विदा करते हैं। … पर यहां प्रेमसागर निकले हैं इतनी बड़ी द्वादश ज्योतिर्लिंग की पैदल यात्रा पर निपट अकेले!
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अमरकण्टक – दाढ़ी बनवाई, अगले चरण की तैयारी
महादेव की भी अगर कल्पना की जाये तो वे भी इसी प्रकार अपवर्ड-मोबाइल, हाईटेक ग्राह्यता वाले रस्टिक-रुरो-अर्बेन देव होंगे। बहुत कुछ वैसे कि महानगर की गिटपिट हिंगलिश बोलने वाला युवा भी उनको अपने सा मानने लगे।
कल बारिश का दिन रहा अमरकण्टक में
कल प्रेमसागर जी के दो कांवर मित्र – भुचैनी पांड़े और अमरेंद्र पांड़े 10-11 बजे तक अमरकण्टक पंहुचेंगे। वे अपनी कांवर साथ ले कर आ रहे हैं। प्रेमसागर की कांवर कारपेण्टर जी से बनवा रहे हैं रेस्ट हाउस के वर्मा जी। परसों ये लोग नर्मदा उद्गम स्थल से जल उठा कर रवाना होंगे ॐकारेश्वर के लिये। प्रेम-भुचैनी-अमरेंद्र की तिगड़ी नये नये अनुभव करायेगी ब्लॉग पर।
