घर पर हमारे ड्राइवर साहब ने एक बांस की लम्बी डण्डी छील कर तैयार की। उसपर झण्डा लगा कर घर के ऊपर कोने पर सुतली से सीढ़ी के रेलिंग से झण्डा बांध कर फहराया। सब को जलेबी बांटी गयी। देशभक्ति की ड्रिल सम्पन्न हुई।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
घर पर हमारे ड्राइवर साहब ने एक बांस की लम्बी डण्डी छील कर तैयार की। उसपर झण्डा लगा कर घर के ऊपर कोने पर सुतली से सीढ़ी के रेलिंग से झण्डा बांध कर फहराया। सब को जलेबी बांटी गयी। देशभक्ति की ड्रिल सम्पन्न हुई।