कन्हैयालाल और फेरीवालों का डेरा


वे सब कानपुर के पास एक ही क्षेत्र से हैं। सामुहिक रूप से एक दूसरे के सुख दुख में साथ रहते हैं। शाम को भोजन सामुहिक बनता है। उसके बाद बोल-बतकही होती है। कुछ मनोरंजन होता है। फिर जिसको जहां जगह मिले, वहां वह सो जाता है।

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